गोपियों ने श्री कृष्ण को किस की भांति अपने मन में बसा लिया था ?
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गोपियों ने कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को हारिल पक्षी के उदाहरण के माध्यम से अभिव्यक्त किया है। वे अपनों को हारिल पक्षी व श्रीकृष्ण को लकड़ी की भाँति बताया है। जिस प्रकार हारिल पक्षी सदैव अपने पंजे में कोई लकड़ी अथवा तिनका पकड़े रहता है, उसे किसी भी दशा में नहीं छोड़ता। उसी प्रकार गोपियों ने भी मन, कर्म और वचन से कृष्ण को अपने ह्रदय में दृढ़तापूर्वक बसा लिया है। वे जागते, सोते स्वप्नावस्था में, दिन-रात कृष्ण-कृष्ण की ही रट लगाती रहती हैं। साथ ही गोपियों ने अपनी तुलना उन चीटियों के साथ की है जो गुड़ (यहाँ श्रीकृष्ण भक्ति) पर आसक्त होकर उससे चिपट जाती है और फिर स्वयं को छुड़ा न पाने के कारण वहीं प्राण त्याग देती है।
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gopiyo ne unhe apne man mastisk mein kuch es prakar basa liya tha ki unhe bas unki hi chah hoti thi wo unke khilaf ek sabad nhi sun sakti thi