गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है
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गोपियाँ उद्धव पर व्यग्य करती हैं कि तुम्हारे भाग्य की कैसी विडंबना है कि श्रीकृष्ण के निकट रहते हुए भी तुम प्रेम से वंचित रहे ।श्रीकृष्ण के निकट रहकर भी उनके प्रति अनुराग नही हुआ ,वह तुम जैसा ही भाग्यवान हो सकता है।इस तरह गोपियाँ उनको भाग्यवान न कहकर यही व्यंग्य करती है कि तुमसे बढ़कर दुर्भाग्य और किसका हो सकता है ।
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