गोपनीय संधि विच्छेद
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गत दिवसों में एक विषय को सनसनी अथवा रहस्य के तौर पर समाज में प्रसारित किया गया। वह विषय है-समाधि! वास्तव में, समाधि कोई रहस्य नहीं, एक अत्यंत आलौकिक या पारलौकिक अवस्था है जो देहातीत है, मंन-बुद्धि से अतीत है, जिसकी तुलना में मानव की विचार शक्ति और विज्ञान के संसाधन नितांत बौने हैं। प्रस्तुत लेख द्वारा हम समाधि के यथार्थ स्वरूप को प्रकाशित कर रहे हैं।
वास्तव में क्या है समाधि?
योग ऋषि पतंजलि जी ने अष्टांग योग सूत्रों में मानवीय चेतना के उत्तरोतर विकास को दर्शाया है। एक आध्यात्मिक साधक का आत्मिक विकास सात चरणों (यम, नियाँ, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान) से गुज़ारता हुआ अंततोगत्वा समाधि के रूप में अभिव्यक्त होता है।
... अतः समाधि वह उत्कृष्टम या उच्चतम पड़ाव है, जहाँ चेतना स्वयं को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करती है; जहाँ व्यष्टि और समष्टि का भेद तिरोहित हो जाता है। 'समाधि' शब्द का संधि विच्छेद किया जाए, तो 'समाधि' = 'सम' + ''अधि' अर्थात् समान रूप से, पूरी निरंतरता से, परम चेतना में अधिष्ठित हो जाना- यही समाधि है। यह विद्याओं की विद्या- 'राजविद्या' है। गोपनीय से भी गोपनीय- 'राजगुह्यं' अवस्था है।
Explanation:
गत दिवसों में एक विषय को सनसनी अथवा रहस्य के तौर पर समाज में प्रसारित किया गया। वह विषय है-समाधि! वास्तव में, समाधि कोई रहस्य नहीं, एक अत्यंत आलौकिक या पारलौकिक अवस्था है जो देहातीत है, मंन-बुद्धि से अतीत है, जिसकी तुलना में मानव की विचार शक्ति और विज्ञान के संसाधन नितांत बौने हैं। प्रस्तुत लेख द्वारा हम समाधि के यथार्थ स्वरूप को प्रकाशित कर रहे हैं।
वास्तव में क्या है समाधि?
योग ऋषि पतंजलि जी ने अष्टांग योग सूत्रों में मानवीय चेतना के उत्तरोतर विकास को दर्शाया है। एक आध्यात्मिक साधक का आत्मिक विकास सात चरणों (यम, नियाँ, आसान, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान) से गुज़ारता हुआ अंततोगत्वा समाधि के रूप में अभिव्यक्त होता है।
... अतः समाधि वह उत्कृष्टम या उच्चतम पड़ाव है, जहाँ चेतना स्वयं को पूर्ण रूप से अभिव्यक्त करती है; जहाँ व्यष्टि और समष्टि का भेद तिरोहित हो जाता है। 'समाधि' शब्द का संधि विच्छेद किया जाए, तो 'समाधि' = 'सम' + ''अधि' अर्थात् समान रूप से, पूरी निरंतरता से, परम चेतना में अधिष्ठित हो जाना- यही समाधि है। यह विद्याओं की विद्या- 'राजविद्या' है। गोपनीय से भी गोपनीय- 'राजगुह्यं' अवस्था है।