Hindi, asked by yash12169, 3 months ago

(ग) परीक्षा से पहले मेरी मनोदशा
विचार बिंदु * परीक्षा नाम से भय
*पर्याप्त तैयारी
*प्रश्नपत्र देखकर वह दूर हुआ​

Answers

Answered by gauravkhadse0358
1

Answer:

oooooo hiiiii

Explanation:

good morning

Answered by mahimapushpakar6
13

Answer:

भूमिका

परीक्षा का प्रथम दिन छात्रों के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण होता है। वे उत्सुकता के साथ इसकी प्रतीक्षा करते हैं। वे अकसर परीक्षा के प्रथम दिन उत्तेजित और घबराए रहते है। उनका विश्र्वास रहता है कि यदि वे पहले दिन अच्छा करेंगे तो वे परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सकते है। इसलिए परीक्षा का प्रथम दिन भयानक लगता है।

वर्णन

मेरी गत वार्षिक परीक्षा के प्रथम दिन की याद मेरे मन में ताजी है। मैंने परीक्षा के लिए अच्छी तरह तैयारी नहीं की थी। इसलिए मैं परीक्षा के पहले दिन बहुत घबराया हुआ था। मैं उदासी के साथ घर से रवाना हुआ। मैं सोचने लगा कि मैं परीक्षा-भवन में किसी भी पश्र का उत्तर नहीं दे सकूँगा। इसलिए मेरा मन निराशा और पश्र्चातत्ताप से भर गया। मैं महसूस करने लगा कि मैंने साल भर अध्ययन की उपेक्षा की थी। मैं धीरे-धीरे परीक्षा-भवन की ओर चला। अंत में मैं विद्यालय पहुँचा। विद्यालय का परिचित भवन अजीब और भयानक लगता था। मैं अनिच्छा के साथ परीक्षा-भवन की ओर चला। मैंने उदास मन से परीक्षा-भवन में प्रवेश किया। मैं अपनी जगह खोजकर बैठ गया। मेरे कुछ मित्र जोर-जोर से बातें कर रहे थे, लेकिन मुझे बात करने की इच्छा नहीं थी। अभी भी कुछ समय था और मैं उसे बरबाद करना नहीं चाहता था। मैंने अपनी कापी लेकर उसे उलटना शुरू किया। जब घण्टी बजी तब मैं घबरा गया।

मैं अपनी कापी को रखकर अपनी जगह पर बैठ गया। जब मुझे उत्तर-पुस्तिका मिली। तब मेरा ह्रदय धड़कने लगा। मैंने अपने को सँभालने की कोशिश की। तब घण्टी बजी और एक निरीक्षक ने मुझे पश्रपत्र दिया। मैं भय से काँप रहा था। जब मैंने पश्रपत्र देखा तो मैंने पाया कि पश्र आसान थे। इसलिए मेरा भय दूर हो गया और मैंने उन पश्रों को चिहित किया, जिनका उत्तर मुझे देना था। मैंने प्रश्रों के उत्तर लिखना प्रारंभ किया। जब मैंने पहले पश्र का उत्तर लिखना समाप्त किया तब मैंने पाया कि उसमें काफी समय लग गया था। इसलिए मैं जितनी तेजी से लिख सकता था उतनी तेजी से लिखने लगा। चेतावनी की घण्टी बजने के पहले मैंने सभी पश्रों का उत्तर दे दिया। तब मैंने उनको दुहराया। मैंने महसूस किया कि मैंने अंतिम दो पश्रों के उत्तर अच्छी तरह नहीं दिया था। इसके बावजूद मुझे अपनी उत्तर-पुस्तिका एक निरीक्षक को दे दी। मैं मुस्कराते हुए परीक्षा-भवन के बाहर आया।

उपसंहार

घर लौटते समय मैं परीक्षा-भवन में अपनी घबराहट पर मन-ही-मन मुस्कराया। मैंने निश्र्चय किया कि अब मैं परीक्षा से नहीं डरूँगा।

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