ग्राफ विधि द्वारा प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक ज्ञात करना
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हमारा उद्देश्य:
आपतन (i) के कोण के साथ का विचलन (d) के कोण का अध्ययन करना और i-d वक्र से न्यूनतम विचलन (D) के कोण का पता लगाना।
(ii) A और D का प्रयोग कर प्रिज्म की पदार्थ के अपवर्तनांक का पता लगाना
सिद्धांत
प्रिज्मं
प्रिज्मं के पारंपरिक ज्यामितीय आकार में त्रिकोणीय आधार और दो आयताकार भुजाएं होती हैं। इसे त्रिकोणीय प्रिज्म कहा जाता है।
कांच, प्लास्टिक और फ्लोराइट जैसी पदार्थ से प्रिज्म् बनाया जा सकता है। प्रकाश को उसके घटकों में विभाजित करने के लिए इसका प्रयोग किया जा सकता है।
जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाता है, तो यह अपवर्तित हो जाता है और भिन्न कोण पर नए माध्यम में प्रवेश करता है। प्रकाश के पथ में झुकाव की मात्रा उस कोण पर निर्भर करती है जो प्रकाश की आपतित किरण प्रिज्म् की सतह के साथ बनाती है और दो माध्यमों के अपवर्तनांक के बीच के अनुपात पर निर्भर करती है। इसे स्नेल का नियम कहा जाता है।
जहां, n प्रिज्म के पदार्थ का अपवर्तनांक है
i आपतन का कोण है
R अपवर्तन का कोण है।
कई पदार्थों का अपवर्तनांक प्रयुक्त प्रकाश की तरंगदैर्ध्य के साथ बदलता रहता है। इस परिघटना को प्रकीर्णन कहा जाता है।
अपवर्तनांक (n), प्रिज्म (A) के कोण और न्यूनतम विचलन (d) के कोण के बीच संबंध
निम्नतलिखित त्रिकोणीय प्रिज्म पर विचार करें।
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