Hindi, asked by gouri7217, 1 year ago

गुरु गोबिंद देउ खड़े शीर्षक के आधार पर गुरु का महत्त्व प्रतिदर्पित कीजिये​

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Answered by peehuthakur
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Answer:

गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।

बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।।

गुरू और गोबिंद (भगवान) एक साथ खड़े हों तो किसे प्रणाम करना चाहिए – गुरू को अथवा गोबिन्द को? ऐसी स्थिति में गुरू के श्रीचरणों में शीश झुकाना उत्तम है जिनके कृपा रूपी प्रसाद से गोविन्द का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

गुरू बिन ज्ञान न उपजै, गुरू बिन मिलै न मोष।

गुरू बिन लखै न सत्य को गुरू बिन मिटै न दोष।।

कबीर दास कहते हैं – हे सांसरिक प्राणियों। बिना गुरू के ज्ञान का मिलना असम्भव है। तब तक मनुष्य अज्ञान रूपी अंधकार में भटकता हुआ मायारूपी सांसारिक बन्धनों मे जकड़ा रहता है जब तक कि गुरू की कृपा प्राप्त नहीं होती। मोक्ष रूपी मार्ग दिखलाने वाले गुरू हैं। बिना गुरू के सत्य एवं असत्य का ज्ञान नहीं होता। उचित और अनुचित के भेद का ज्ञान नहीं होता फिर मोक्ष कैसे प्राप्त होगा? अतः गुरू की शरण में जाओ। गुरू ही सच्ची राह दिखाएंगे।

गुरू पारस को अन्तरो, जानत हैं सब संत।

वह लोहा कंचन करे, ये करि लेय महंत।।

गुरू और पारस के अन्तर को सभी ज्ञानी पुरूष जानते हैं। पारस मणि के विषय जग विख्यात हैं कि उसके स्पर्श से लोहा सोने का बन जाता है किन्तु गुरू भी इतने महान हैं कि अपने गुण ज्ञान में ढालकर शिष्य को अपने जैसा ही महान बना लेते हैं।

Answered by duragpalsingh
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प्रश्न :

गुरु गोविंद डाउ खड़े शीर्षक साखी के आधार पर गुरु का महत्व प्रतिपादित कीजिए ​।

उत्तर :

इस साखी के द्वारा कबीर जी कहते हैं कि गुरु का हमारे जीवन में अधिक महत्व है । हम गुरु के आशीर्वाद से सब कुछ पा सकते हैं और गुरु ही ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग बताते हैं । इसलिए हमें गुरु का आदर करना चाहिए और हमें गुरु पर सब कुछ न्योछावर कर देना चाहिए । हमें गुरु के मार्गदर्शन पर रहना चाहिए।

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