गुरु गोविंद में किस अलंकार का प्रयोग है
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yoog alankar ka praying kiya gya hai
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गुरु गोविंद में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग है।
- गुरु गोविन्द दोउ खड़े,काकै लागू पाय बलिहारी गुरु आपन , गोविंद दियो बताय
- दी गई पंक्ति में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है क्योंकि इसमें शब्द की आवृत्ति हो रही है। गुरु और गोविंद की आवृत्ति होने से कविता के शिल्प में बढ़ोतरी हुई है।
- अनुप्रास अलंकार शब्दालंकार अलंकार का एक प्रकार है।
- जहां काव्य में समान वर्णों की एक से अधिक बार आवृत्ति होती है उस अनुप्रास अलंकार कहते है।
अनुप्रास अलंकार के अन्य उदाहरण
- चंदू की चाची ने चांदनी रात में चांदी के चम्मच से चटनी चटाई।
- इस वाक्य में " च " वर्ण का प्रयोग बार बार हुआ है इसलिए यह अनुप्रास अलंकार है।
#SPJ3
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