गुरु गोविंद सिंह की पत्नी ने अपने पुत्रों की बलिदान पर मिटाया क्यों बाटी
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नईदुनिया प्रतिनिधि। सिक्खों के दशम् गुरू श्री गुरूगोविंद सिंह के चारों पुत्रों की शहादत को नमन करने के लिए गुरूसिंघ सभा द्वारा बसस्टैंड स्थित जयस्तंभ पर सभा का आयोजन किया गया। यहां मोमबत्ती जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। सैकड़ों सिक्ख बंधु इसमें शामिल हुए।
सिक्खों के दशम् गुरू श्री गुरूगोविंद सिंह के पुत्रों की शहादत को शहीदी सप्ताह के रूप में गुरूद्वारे में मनाया गया। गुरूसिंघ सभा के अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटिया ने बताया कि 21 दिसंबर से 22 दिसंबर सिक्ख इतिहास का सबसे बड़ा शहीदी सप्ताह है। उन्होंने बताया कि 22 दिसम्बर को गुरु गोबिंद सिंह 40 सिक्ख फौजों के साथ चमकौर के एक कच्चे किले में 10 लाख मुगल सैनिको से मुकाबला कर रहे थे। इस युद्ध में गुरु गोबिंद सिंह जी के बड़े बेटे 17 वर्ष के अजीत सिंह मुगलों से लड़ते हुए शहीद हुए। बड़े भाई की सहादत को देखते हुए 14 वर्ष के पुत्र जुझार सिंह ने पिता से युद्ध के मैदान में जाने की अनुमति मांगी। एक पिता ने अपने हाथो से पुत्र को सजाकर युद्ध के मैदान में भेजा। मुगलों पर भारी साहेबजादा जुझार सिंह ने युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छे छुड़ा दिए और लड़ते लड़ते वीरगति को प्रा'त हुए। दूसरी ओर गुरु के दोनों छोटे बेटे जोरावर सिंह 5 वर्ष और फतेह सिंह 7 वर्ष अपनी दादी माता गुजरी जी के साथ युद्ध के दौरान पिता से बिछड़ गए। रसोइया गंगू के धोखाधड़ी की वजह से सरहंद के नवाब वजीर खान ने उन्हें बंदी बना लिया। इस्लाम कबूल न करने पर 27 दिसम्बर को दोनों को दीवार में चुनवा दिया गया था। उन्होंने बताया कि शहादत के इस सप्ताह पर गुरू के चारों पुत्रों की शहादत को नमन करने के लिए 21 दिसंबर से गुरूद्वारे के साथ ही प्रत्येक घर में नियमित रूप से पाठ किया गया। 26 दिसंबर को शाम 3 बजे गुरूद्वारे में विशेष पाठ रखा गया है वहीं 27 दिसंबर को प्रातः तथा शाम को विशेष पाठ के साथ ही बच्चों द्वारा भी उनकी शहादत पर शबद गायन प्रस्तुत किया गया। गुरूवार को शाम 6 बजे जयस्तंभ चौक पर श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। सिक्ख बंधु सपरिवार इसमें शामिल हुए। गुरूद्वारे में विशेष पाठ के बाद वे रैली की शक्ल में इंदिरा चौक से होते हुए बसस्टैंड स्थित जयस्तंभ पहुंचे। यहां चारों गुरूपुत्रों की शहादत को याद करते हुए बच्चों ने शबद के साथ ही उनके जीवनवृतांत और बहादुरी की दास्तां बयां की। इस मौके पर मोमबत्ती जलाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। गुरू सिंघ सभा के अध्यक्ष रविंद्र सिंह भाटिया,इंद्रजीत सिंह भाटिया,कुलविंदर सिंह भाटिया,गुरविंदर सिंह भाटिया,हरजीत भाटिया,मनजीत सिंह भाटिया,अमरजीत सिंह काके,हरनाम सिंह भाटिया, प्रीतपाल सिंह भाटिया,प'पी भाटिया,बब्बू भाटिया,सरनजीत भाटिया,धनवंत सिंह भाटिया,ईकबाल सिंह भाटिया,सिंदर भाटिया, राजू भाटिया,रमेश सहगल,पिंटू भाटिया,गुरूशरण भाटिया,परमजीत भाटिया समेत पूरी सिक्ख संगत के लोग इसमें शामिल हुए।