Hindi, asked by krazykrotux75, 5 months ago

“गुरू गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पायँ ।

बलिहारी गुरू अपनो जिन गोविंद दियौ बताय ।।

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाहि ।

प्रेम गली अति साँकरी, तामे दो न समाहि ।।”

[साखी-कबीरदास] [Sakhi- Kabirdas]

i) यहाँ पर 'मैं' और 'हरि' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?

ii) कवि कबीर किसके ऊपर न्योछावर हो जाना चाहते हैं और क्यों?

iii) ‘जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि हैं मैं नाँहि ।' - का भावार्थ स्पष्ट कीजिए ।

iv) ईश्वर के संबंध में कबीर के अनुभवों और मान्यताओं का वर्णन साखियों के आधार पर कीजिए ।

Answers

Answered by pravin29101971
0

Answer:

so big I can't answer this

Answered by anishdev255
0

Answer:

I am literally searching for that answer everywhere.

I really don't know

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