ग्राहकों को कौन-कौन से अपने हक मिल गए थे
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अपनी गाढ़ी कमाई से बनाए गए एसेट को गंवाना बहुत दुख पहुंचाता है. हालांकि, मंदी के दौर में इसके लिए तैयार रहना चाहिए. बिजनेस फेल होने या नौकरी जाने से किसी को भी इस स्थिति का सामना करना पड़ सकता है. याद रखें कि लेनदार कर्ज के भुगतान में डिफॉल्ट करता है तो भी वह एसेट पर सभी अधिकार नहीं खो देता है. उसे मानवीय व्यवहार पाने का पूरा हक है.
अपने कर्ज की वसूली के लिए कर्ज देने वालों (बैंक, वित्तीय संस्थान आदि) को उचित प्रक्रिया अपनाना जरूरी है. सिक्योर्ड लोन के मामले में उन्हें गिरवी रखे गए एसेट को कानूनन जब्त करने का हक है. हालांकि, नोटिस दिए बगैर बैंक ऐसा नहीं कर सकते हैं. सिक्योरिटाइजेशन एंड रीकंस्ट्रक्शन ऑफ फाइनेंशियल एसेट्स एंड एनफोर्समेंट ऑफ सिक्योरिटी इंटरेस्ट (सरफेसी) एक्ट कर्जदारों को गिरवी एसेट को जब्त करने का अधिकार देता है. आइए, जानते हैं कि ऐसे मामले में लोगों को क्या अधिकार मिले हुए हैं.
1. नोटिस देना जरूरी
2. एसेट का सही दाम पाने का हक
3. बकाया पैसे को पाने का अधिकार
4. धमकाने या जोर जबर्दस्ती की इजाजत नहीं
1. Right to safety means suraksha ka adhikaar
2. Right to information means soochna ka अधिकार
3. Right to choice means pasand ka अधिकार
4. Right to be heard means sunayi dene ka अधिकार
5. Right to seek redressal means nivaaran ka अधिकार
6. Right to consumer Education means upbhokta shiksha ka अधिकार.
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