Hindi, asked by irfanshakh5966, 4 days ago

.) गुरू की महिमा के बारे में ४० से ५० शब्दों में अपने विचार लिखिए

Answers

Answered by surekhads88
0

Answer:

ज्ञान की कोई सीमा नहीं है। विभिन्न क्षेत्रों में भिन्न-भिन्न प्रकार के ज्ञान की आवश्यकता होती है। यह ज्ञान हमें किसी न किसी व्यक्ति से मिलता है। जिस व्यक्ति से हमें यह ज्ञान मिलता है, वही हमारे लिए गुरु होता है। बचपन में बच्चे का पालन-पोषण कर उसे बड़ा करके बोलने-चालने और बोली-भाषा सिखाने का काम माता करती vec 8 |34 overline 44 overline 95 बच्चे की गुरु होती है। बड़े होने पर बच्चे को विद्यालय में शिक्षकों से ज्ञान प्राप्त होता है। पढ़-लिखकर जीवन में पदार्पण करने पर हर व्यक्ति को किसी-न-किसी से अपने काम-काज करने का ढंग सीखना पड़ता है। इस तरह के लोग हमारे लिए गुरु के समान होते हैं। मनुष्य गुरुओं से ही सीखकर विभिन्न कलाओं में पारंगत होता vec 8 |* बड़े-बड़े विद्वान, विचारक, राजनीति, समाजशास्त्री, वैज्ञानिक, अर्थशास्त्री अपने-अपने गुरुओं से ज्ञान प्राप्त करके ही महान हुए हैं। अच्छी शिक्षा देने वाला गुरु होता है।

mathcal R की महिमा अपरंपार है। गुरु ही हमें गलत या सही में भेद करना सिखाते हैं। वे अपने मार्ग से भटके हुए लोगों को सही मार्ग दिखाते हैं। यह सच है कि गुरु के बिना ज्ञान नहीं होता।

Answered by dhananjaykhillare143
1

Answer:

पौराणिक काल से ही गुरु ज्ञान के प्रसार के साथ-साथ समाज के विकास का बीड़ा उठाते रहे हैं। गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है- ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश (ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जो हमारा पालन-पोषण करते हैं, सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरुवाती आवश्यकताओं को सिखाते हैं। अतः माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है।

वास्तव में गुरु की महिमा का पूरा वर्णन कोई नहीं कर सकता। गुरु की महिमा तो भगवान् से भी कहीं अधिक है-

गुरुब्रह्मा गुरुविर्ष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।

शास्त्रों में गुरु का महत्त्व बहुत ऊँचा है। गुरु की कृपा के बिना भगवान् की प्राप्ति असंभव है। गुरु के मन में सदैव ही यह विचार होता है कि उसका शिष्य सर्वश्रेष्ठ हो और उसके गुणों की सर्वसमाज में पूजा हो। जीवन में गुरू के महत्व का वर्णन कबीर दास जी ने अपने दोहों में पूरी आत्मीयता से किया है-

गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव,

बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।

आज के आधुनिक युग में भी गुरु की महत्ता में जरा भी कमी नहीं आयी है। एक बेहतर भविष्य के निर्माण हेतु आज भी गुरु का विशेष योगदान आवश्यक होता है। गुरु के प्रति श्रद्धा व समर्पण दर्शित करने हेतु 'गुरु पूर्णिमा' का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गुरु का पूजन करने से गुरु की दीक्षा का पूरा फल उनके शिष्यों को मिलता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं का सम्मान किया जाता है। इस अवसर पर आश्रमों में पूजा-पाठ का विशेष आयोजन किया जपौराणिक काल से ही गुरु ज्ञान के प्रसार के साथ-साथ समाज के विकास का बीड़ा उठाते रहे हैं। गुरु शब्द दो अक्षरों से मिलकर बना है- ‘गु’ का अर्थ होता है अंधकार (अज्ञान) एवं ‘रु’ का अर्थ होता है प्रकाश (ज्ञान)। गुरु हमें अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर ले जाते हैं। हमारे जीवन के प्रथम गुरु हमारे माता-पिता होते हैं। जो हमारा पालन-पोषण करते हैं, सांसारिक दुनिया में हमें प्रथम बार बोलना, चलना तथा शुरुवाती आवश्यकताओं को सिखाते हैं। अतः माता-पिता का स्थान सर्वोपरि है। भावी जीवन का निर्माण गुरू द्वारा ही होता है।

वास्तव में गुरु की महिमा का पूरा वर्णन कोई नहीं कर सकता। गुरु की महिमा तो भगवान् से भी कहीं अधिक है-

गुरुब्रह्मा गुरुविर्ष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।

गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।

शास्त्रों में गुरु का महत्त्व बहुत ऊँचा है। गुरु की कृपा के बिना भगवान् की प्राप्ति असंभव है। गुरु के मन में सदैव ही यह विचार होता है कि उसका शिष्य सर्वश्रेष्ठ हो और उसके गुणों की सर्वसमाज में पूजा हो। जीवन में गुरू के महत्व का वर्णन कबीर दास जी ने अपने दोहों में पूरी आत्मीयता से किया है-

गुरू गोविन्द दोऊ खङे का के लागु पाँव,

बलिहारी गुरू आपने गोविन्द दियो बताय।

आज के आधुनिक युग में भी गुरु की महत्ता में जरा भी कमी नहीं आयी है। एक बेहतर भविष्य के निर्माण हेतु आज भी गुरु का विशेष योगदान आवश्यक होता है। गुरु के प्रति श्रद्धा व समर्पण दर्शित करने हेतु 'गुरु पूर्णिमा' का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन गुरु का पूजन करने से गुरु की दीक्षा का पूरा फल उनके शिष्यों को मिलता है। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरुओं का सम्मान किया जाता है। इस अवसर पर आश्रमों में पूजा-पाठ का विशेष आयोजन किया जाता है।

Similar questions