Hindi, asked by Akankshasinha2278, 1 year ago

' गुरू का महत्व "इस पर 10-15 वाक्यों में अनुच्छेद बताईए

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Answered by Anonymous
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गुरु की यह परिभाषा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में लागू होती | अध्यात्मिक क्षेत्र में गुरु की बड़ी महिमा है | गुरु को ब्रह्मा, विष्णु और महेश से भी अधिक महत्त्व दिया गया है | संत कबीर का यह दोहा प्रसिध्द है –

गुरू गोविंद दोऊ खड़े, काके लागॅूं पाँय |

बलिहारी गुरु आपने, गोविंद दियो बताय ||

मीराँबाई भी कहती हैं ‘ मैंने ईश्वररॅपी रत्न प्रप्त कर लिया है | मेरे सद्गुरु ने मुझ पर कृपा कर यह बहुमूल्य रत्न मुझे दिया है | ‘ इसी तरह लगभग सभी संतों ने गुरु की महिमा बताई है |

बालक की पहली गुरू उसकी माता होती है | माँ की गोदी में बैठकर बालक बोलना सीखता है | उचित-अनुचित तथा अच्छे-बुरे का साधारण ज्ञान उसे माँ से ही प्रप्त होता है | बालक पाठशाला जाता है | वहाँ उसे विद्या गुरु या शिक्षा गुरु मिलते हैं | वर्षों तक बालक अपने शिक्षा गुरुओं से विविध प्रकार का ज्ञान उसे जिन अनुभवी लोगों से प्राप्त होता है, वे ही उसके गुरु कहलाते हैं |

गुरु चाणक्य ने ही अपनी विलक्षण शिक्ष्ज्ञा देकर चंद्रगुप्त मौर्य को मगध-सम्राट बनाया था | महाभारत के युध्द में विजयी होने वाले पांडवों को अस्त्र-शस्त्र-विद्या में कुशल गुरु द्रोणाचार्य ने ही बनाया था |

ज्ञान के बिना जीवन निरर्थक है और ज्ञान केवल गुरु से ही मिलता है | इसलिए जीवन में गुरु का स्थान बहुत उॅूंचा है | भारत में गुरु का महत्त्व सदैव रहा है और रहेगा |

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