गुरु को नमस्कार वाक्य में गुरु को शब्द में कारक है *
संप्रदान कारक
अपादान कारक
कर्म कारक
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उसे सम्प्रदान कारक कहते है। दूसरे शब्दों में- जिसके लिए कुछ किया जाय या जिसको कुछ दिया जाय, इसका बोध करानेवाले शब्द के रूप को सम्प्रदान कारक कहते है। इसकी विभक्ति 'को' और 'के लिए' है। जैसे- शिष्य ने अपने गुरु के लिए सब कुछ किया।
Explanation:
संज्ञा के जिस रूप से एक वस्तु का दूसरी से अलग होना पाया जाए वह अपादान कारक कहलाता है। इसका विभक्ति-चिह्न 'से' है। 'से' चिन्ह करण कारक का भी होता है लेकिन वहां इसका मतलब साधन से होता है।
इस तरह गुरु जी ने अपने कड़वे बोल से दरअसल शिबली को अहंकार के जहर से बचाया था। यह समझकर आश्रम के शिष्य गुरुजी के प्रति आदर के भाव से भर उठे। उन्हें समझ आ गया कि सच्चा गुरु कड़वा घूंट पीकर भी अपने शिष्य को सन्मार्ग से डिगने नहीं देता।
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