Hindi, asked by chaudhuriarghya8233, 1 year ago

ग्राम गीत हृदय की वाणी है मस्तिष्क की ध्वनि नहीं""- आशय स्पष्ट करें।

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Answered by ArchitPathak
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Answer:

"ग्राम गीत हृदय की वाणी है मस्तिष्क की ध्वनि नहीं" अर्थात ग्राम्य गीत हमारे हृदय की भावनाओं को स्पषट रूप से दर्शाते हैं ग्राम्य गीतों से ऐसा प्रतीत होता है जैसे हमारा हृदय स्वयं ही बोल रहा हो न कि हमारे मस्तिष्क के विचार निकलते हैं।

ग्राम्य गीत सज्जन ग्रामवासियों के हृदय की भावनाओं को व्यक्त करती है मस्तिष्क के विचारों अथवा षडयंत्रों को नहीं।

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Answered by krishna210398
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Answer:

ग्राम्य गीत हमारे हृदय की भावनाओं को स्पषट रूप से दर्शाते हैं ग्राम्य गीतों से ऐसा प्रतीत होता है जैसे हमारा हृदय स्वयं ही बोल रहा हो न कि हमारे मस्तिष्क के विचार निकलते हैं।

Explanation:

सुव्यवस्थित ध्वनि, जो रस की सृष्टि करे, संगीत कहलाती है। गायन, वादन व नृत्य तीनों के समावेश को संगीत कहते हैं। संगीत नाम इन तीनों के एक साथ व्यवहार से पड़ा है। गाना, बजाना और नाचना प्रायः इतने पुराने है जितना पुराना आदमी है। बजाने और बाजे की कला आदमी ने कुछ बाद में खोजी-सीखी हो, पर गाने और नाचने का आरंभ तो न केवल हज़ारों बल्कि लाखों वर्ष पहले उसने कर लिया होगा, इसमें कोई संदेह नहीं।

गायन मानव के लिए प्राय: उतना ही स्वाभाविक है जितना भाषण। कब से मनुष्य ने गाना प्रारंभ किया, यह बताना उतना ही कठिन है जितना कि कब से उसने बोलना प्रारंभ किया है। परंतु बहुत काल बीत जाने के बाद उसके गायन ने व्यवस्थित रूप धारण किया।

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