ग्राम में जीवन के क्या आनंद है हमारे नगर गांव के किस रूप में श्रेणी हैं गांव की सच हवा प्रकृति के समीप तक ग्रामीणों के छल कपट से मुक्त जीवन आदि की ओर संकेत करते हुए एक लेख लिखिए शब्द सीमा 300 से 350
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Explanation:
अति प्राचीनकाल से कवि, विद्वान् तथा साधारण व्यक्ति सभी ग्रामीण जीवन के आनन्द के गुण गाते रहे है, फिर भी ससार के हर देश में आज भीड़भाड़ से भरे शहरों और नगरों की ओर दौड़ रहे हैं । ऐसा लगता है कि इन लोगों के लिए ग्रामीण जीवन में कोई आकर्षण नहीं रह गया है । वस्तुस्थिति कुछ भी क्यों न हो, ग्रामीण जीवन का अपना विशेष आनन्द है, जिसकी शहरों में कल्पना तक नहीं जा सकती ।
गांवों में ही प्रकृति के असली रूप और सौन्दर्य के दर्शन हो सकते हैं । किसी कवि ने बिल्कुल ठीक कहा है कि ”ईश्वर ने गांवों की रचना की और आदमियों ने शहरों की” । गांवों का नैसर्गिक सौन्दर्य, वहाँ की सरलता और कृत्रिमता का अभाव हमें यह मनाने पर मजबूर करता है कि गांव ईश्वर की रचना है ।
शहरों में हमें हर तरफ कृत्रिमता ही दिखाई देती है । शहरों के उद्यागों में प्रकृति का रूप हमे ऐसा लगता है, जैसे पिंजड़े में बन्द पक्षी या जानवर लगते हैं । इसमें भी मानव जनित कृत्रिमता अवश्य लक्षित होती है । प्रकृति का असली रूप देखकर हमें बड़ा आनन्द आता है ।