ग्रामीण एवं शहरी निर्धनता में अंतर स्पष्ट कीजिए
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स्वतंत्रता के समय से ग्रामीण बेरोजगारी शहरी बेरोज़गारी से अधिक रही है। यह कहना सही होगा कि निर्धनता गाँवों से शहरों में आ गई है। ग्रामीण क्षेत्र में छोटे तथा सीमांत किसान और कृषि श्रमिकों में मौसमी तथा प्रच्छन्न बेरोज़गारी है। वे कर्ज के जंजाल में भी फँस जाते हैं।
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स्वतंत्रता के समय से ग्रामीण बेरोजगारी शहरी बेरोज़गारी से अधिक रही है। यह कहना सही होगा कि निर्धनता गाँवों से शहरों में आ गई है। ग्रामीण क्षेत्र में छोटे तथा सीमांत किसान और कृषि श्रमिकों में मौसमी तथा प्रच्छन्न बेरोज़गारी है। वे कर्ज के जंजाल में भी फँस जाते हैं।
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