ग्रामीण गुट बंदी की विशेषता लिखिए
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Explanation:
गुट बंदी का सीधा सीधा अर्थ यह होता है कि ग्रामीण क्षेत्र के लोग दो गुटों में बटकर एक दूसरे का विरोध व्यक्त करते हैं । जब ग्रामीण क्षेत्र में सरपंच के चुनाव कराए जाते हैं तब गांव से जो व्यक्ति सरपंच के चुनाव में अपना आवेदन भरता है तब गांव के लोग कई गुटों में बट जाते हैं और गांव में गुट बंदी प्रारंभ हो जाती है ।
Answer:
ग्रामीण गुटबंदी का अर्थ :-विशेष हितों की पूर्ति के आधार पर प्रत्येक समाज मे कुछ अलग-अलग समूह तैयार हो जाते है। यह समूह परस्पर विरोधी होते है जैसा कि "गूट" शब्द से ही स्पष्ट होता है "अलग समूह"। फर्थ के अनुसार "गुट समाज के वे भाग अथवा वे समूह है जो एक दूसरे के विरोधी होते है एवं सम्पूर्ण समाज के बजाय वे अपने उद्देश्यों को बढ़ावा देते है। गुट तुलनात्मक रूप से छोटा समूह होता है जिसमे गुट का नेता अपने समूह के लोगों की राजनीति,सामाजिक उद्देश्य की पूर्ति मे सहायक होता है। गुट को निम्न प्रकार से परिभाषित किया गया है--
गुट की परिभाषा " गुट शब्द का प्रयोग ऐसे राजनीतिक समूह को सन्दर्भित करने के लिए किया जाता है जो सकारात्मक सामाजिक प्रकार्य करता है।ग्रामीण समाज मे बहारी तौर पर एक जुटता दिखाई देती है क्योंकि विभिन्न अवसरों पर सभी ग्रामीण मिल-जुल कर सहभागिता करते है। लेकिन आंतरिक रूप से निहित स्वार्थों के पूर्ति के लिए ग्रामीण समाज मे गुट तैयार हो जाते है। प्रायः ऐसे गुट धन बल, संख्यात्मक शक्ति, जातिगत सबंध, नातेदारी संबंध आदि के आधार पर परस्पर विरोधी समूह के रूप मे तैयार हो जाते है।
ग्रामीण गुट की विशेषताएं
1. ग्रामीण गुट राजनीतिक समूहों के रूप मे कार्य करते है।
2. ग्रामीण गुट एक सार्वजनिक तत्व है जो भारतीय राजनैतिक जीवन मे अनिवार्यतः पाया जाता है।
3. सामान्यतः ग्रामीण गुट शक्ति समूह के रूप मे ही कार्य करते है।
4. निकोलस के अनुसार गुट संघर्षकारी एवं राजनैतिक समूह है, सामूहिक समूह नही। इसके सदस्यों की भर्ती विभिन्न सिद्धांतों के आधार पर एक एक नेता द्वारा की जाती है।
5. गाँवों मे सामान्यतः विभिन्न गुटों मे परस्पर तनाव एवं संघर्ष पाया जाता है परन्तु कुछ अवसरों पर सहयोग भी देखा जा सकता है।
6. गुटों का नामकरण नेतृत्व एवं वंश समूहों के आधार पर होता है।
7. गाँवों मे जाति एवं नातेदारी के आधार पर भी गुट पाये जाते है।
8. गाँवों मे विभिन्न गुटों के बीच तनाव का मुख्य कारण मुकदमेबाजी या मारपीट सोता है।
गुट बनने के कारण
ऑस्कर लेविस ने उत्तर भारत के गाँव रामपूर के अध्ययन के दौरान गुट की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उन्होंने अपने अध्ययन मे स्थानीय छोटे-छोटे 12 समूहों का अध्ययन किया। जिन्हे स्थानीय भाषा मे "धड़े" कहा जाता है। अपने अध्ययन मे गुट निर्माण के जिन कारणों का उल्लेख लेविस ने किया है। वे इस प्रकार है--
1. भूमि के उत्तराधिकार के प्रश्न पर विवाद,
2. कृषि संबंधी विवाद-जैसे सिंचाई के अधिकार के लिए संघर्ष आदि,
3. यौन अपराध संबंधी विवाद,
4. विभिन्न जातियों के बीच संघर्ष से संबंधित विवाद।