ग्रामीण जीवन अथवा परिवेश कहने का क्या तात्पर्य है
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‘माता के आंचल’ पाठ में ग्रामीण परिवेश का चित्रण किया गया है। आज के समय के अनुसार ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन की तुलना करें तो पहले की मुकाबले दोनों जीवन में अब विशेष अंतर नहीं रह गया है। देश की आजादी के समय 70 साल पहले ग्रामीण जीवन और शहरी जीवन में एक बड़ा अंतर होता था। गांव अत्याधिक पिछड़े होते थे और उनमें पर्याप्त सुख सुविधाओं का अभाव होता था। तकनीक की तो बात दूर तब गांवो में बिजली भी नहीं होती थी। लेकिन अब समय बदल गया है आजादी को 70 साल बीत गए हैं।
70 साल में एक बड़ा परिवर्तन आ गया है। अब गांव-गांव में बिजली पहुंच चुकी है और तकनीक ने अपने पांव गांव तक पसार दिए हैं। आज गांव के घर-घर में टीवी है और मोबाइल फोन भी आजकल हर आमजन तक सुलभ हो गया है। जिसके कारण अब गांव और शहरी जीवन में कोई विशेष अंतर नहीं रह गया है। गांवों का विकास भी होने लगा है। अब गांव पहले जैसे शांत व सुरम्य गांव ना होकर चहल-पहल वाले छोटे-छोटे कस्बों में तब्दील होते जा रहे हैं। हालांकि अभी भी शहरी जीवन और गांव के जीवन में कुछ अंतर है लेकिन पहले की अपेक्षा यह अंतर बहुत कम हुआ है।
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मुझे आशा है कि यह उपयोगी है।