ग्रामीण जीवन अथवा परिवेश कहने का क्या तात्पर्य है
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ग्रामीण जीवन अथवा परिवेश कहने का क्या तात्पर्य है
ग्रामीण जीवन अथवा परिवेश का तात्पर्य है यह कि गाँव का जीवन और उनका रहन-सहन| गाँव एक ऐसा शब्द जिसे सुनते ही मन में सुकून और गर्व का महसूस होता है I गांव वह अतीत है जहां खट्टी मीठी यादें है I
गांव जहाँ हरियाली ही हरियाली होती है I गांव मैं रीती-रिवाज़ होते है, बुजुर्ग की पुरानी चीज़ें देखने को मिलती है I यहाँ शुद हवा है और सब कुछ ताज़ा मिलता है I धुंए की खुशबु में भी है, एक अजीब सा आनंद आता है I
किसी के घर लकड़ी का चूल्हा जलता है तो कहीं कोयले का I शाम में चिड़िया चहचहाती हैI किसान खेतों में काम करते है I गांव मिट्टी, खेत ,पशु खेतो की हरयाली ज्यादा पेड़ पौधों का संगम है ,जहाँ आज भी लोगों के दिल एक दूसरे से जुड़े है लोग एक दूसरे की जीवन का अपने आप को हिस्सा मानते है I
ग्रामीण लोग सबसे ज्यादा महत्व खेती करते है और अपने परिवार का पालन-पोषण करते है | खेती ही उनके जीवन का सहारा है | अनाज बेचते है | पशु पालते है | पशु पाल कर उनका दूध तथा दूध से बनी चीजों का व्यापार करते है | कृषि पर आधारित उद्योग: ग्रामीण लोग सबसे ज्यादा महत्व खेती करते है और अपने परिवार का पालन-पोषण करते है | खेती ही उनके जीवन का सहारा है |
यह वह उद्योग होते है जो कच्चे माल के रूप में वनस्पति और और जन्तु आधारित उत्पादों का उपयोग करते हैं | जैसे खाद्य संसाधन , डेयरी उत्पाद , सूती वस्त्र , चमडा उद्योग शक्कर आदि |