ग्रामीण जीवन की परेशानियों को बताइए
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आजकल समय के साथ-साथ लोगों की धारणा बदल रही है। लोग गावों से शहरों की ओर पलायन कर रहे है। गाँव के लोग ग्रामीण असुविधा से तंग आकर शहरी सुविधा से आकर्षित हो रहे है, और शहरों में अपना निवास बनाकर सुविधा तलाश रहे है। ग्रामीण जीवन में कई सारी समस्याए है, जिसका सामना ग्राम वासियों को करना पढ़ता है। आइये कुछ बिन्दुओ के द्वारा हम ग्रामीण जीवन की समस्याओ को समझने का प्रयत्न करते है ।ग्रामीण असुविधाएँ : आज के समय में हर इंसान सुविधा चाहता है, और यह सत्य है की गाँवो में शहरों की अपेक्षा सुविधाएँ नाम मात्र की भी नहीं है। गाँवो में रहने वाले लोग अपनी हर एक जरूरत चाहे वह खेती के संसाधन हो या घरों का सामान आदि के लिए शहरों पर निर्भर करते है। उन्हे अपनी हर छोटी से छोटी जरूरत के लिये शहर आना पड़ता है, जिसमें उनका समय और पैसा दोनों व्यर्थ जाते है।
शिक्षा का अभाव : शिक्षा विकास का एकमात्र साधन है, जो की गाँवो में मौजूद नहीं है। आज भी कई गाँवो में स्कूल नहीं है और अगर स्कूल है भी तो उनमें शिक्षा का स्तर और व्यवस्थाए सही नहीं है। गाँवो में रहने वाले बच्चों को स्कूल के लिये शहर की ओर आना पड़ता है और अगर वे गाँव के स्कूल में शिक्षा ले भी लेते है, तो उच्च शिक्षा के लिये शहर ही एकमात्र स्थान बचता है।
स्वास्थ की सम्पूर्ण सुविधा उपलब्ध न होना : गाँवो में न अस्पताल है, न ही कोई अन्य सुविधा। और अगर किसी गाँव में अस्पताल है भी तो वहाँ कोई डॉक्टर अपनी सेवाए देना नहीं चाहते। अगर किसी जगह अस्पताल और डॉक्टर दोनों मौजूद है, तब भी वहाँ सम्पूर्ण संसाधन के अभाव में हर ग्रामवासी को अपनी छोटी सी परेशानी में शहरों की ओर रुख करना पड़ता है।
मौसम की मार : हम सभी जानते है कि भारतीय किसान पूरी तरह से कृषि पर निर्भर करते है। वर्षा की बढ़ती अनियमित्ता और पर्यावरण प्रदूषण का सबसे गहरा असर कृषि पर ही पढ़ता है। लगातार कई वर्षो से वर्षा का स्तर कम होता जा रहा है और इसका असर कृषि और किसानों पर पढ़ता है।
अवैधानिक तत्वो की मौजूदगी : आपको जानकर आश्चर्य होगा, कि गाँवो में आज भी जुआ सट्टा और मादक पदार्थो की बिक्री खुलेआम जारी है। यहाँ तक की गाँवो में रहने वाले बच्चे भी इनकी ओर आकर्षित होते है और गलत आदतों का शिकार होते चले जाते हैपरिवहन के साधनों का अभाव : गाँव के लोगों को परिवहन के लिये भी समस्याओ से जुंझना पढ़ता है. बड़ी और फास्ट ट्रेनों के तो गाँवो में स्टाप ही नहीं होते, नाही गाँवो में अच्छी सर्वसुविधायुक्त बसें जाती हैं। कुछ ग्राम वासियों को तो एक बस का इंतजार दिनभर करना होता है और इनमें सफर करते वक़्त असुविधा की भी कमी नही होती।
भौतिक सुख सुविधाओ का अभाव : गाँवो में शहरों की अपेक्षा सुखसुविधा के सामान मौजूद नही होते। जैसे अगर ग्रामवासी खर्चा करके फ्रीज़, कूलर आदि खरीद भी ले, तो उन्हे बिजली सही समय पर उपलब्ध नही होती।
मनोरंजन के साधनों का अभाव : गाँवो में शहरों की तरह मनोरंजन के साधन जैसे सिनेमाघर, गार्डन, चौपाटी उपलब्ध्द नही होते। गाँव में रहने वाले बच्चों को तो समोसे कचोड़ी या कुल्फी के लिये भी कई दिनों का इंतजार करना पड़ता है।
ऐसा नही है, कि ग्राम में कोई लोग नही रहते या वहाँ जनजीवन संभव ही नही है। जहाँ गाँव में रहने वाले लोगों को कई समस्याओ का सामना करना पड़ता है, वही ग्रामीण जीवन के कई फायदे भी है, जिसके कारण पुराने ग्रामीण लोग अपना गाँव छोड़ना नही चाहते।
ग्रामीण जीवन के लाभ/फायदे (Gramin jeevan ke labh):
शुध्द प्रकृतिक वातावरण : शहरों की अपेक्षा गाँवो का वातावरण शुध्द है, यहाँ आज भी शहरी प्रदूषण से मुक्त शुध्द हवा पानी उपलब्द् है। यहाँ ना वाहनों से निकलने वाला धुआ है, ना ही डीजे का शोर। यहाँ के लोग कूलर पंखे के बिना ताजी हवा का आनंद लेना पसंद करते है और विदेशी पेय से दूर शुध्द पेय जैसे दही, लस्सी, शिकंजी आदि को पसंद करते है।
शुद्ध रसायन मुक्त भोजन : गाँव के लोग खुद खेती करते है, गाय भैस पालते है, तो वे अपने लिये बिना रसायन का उपयोग किए अनाज, सब्ज़ी आदि का प्रबंध कर सकते है। जहाँ हम लोग शहरों में पैकेट का दूध इस्तेमाल करते है, वहीं गाँवो में लोग गाय भैसों का शुध्द और ताजा दूध पिते है तथा घर पर ही दूध के अन्य पदार्थ बनाते है।
त्योहारों का सही आनंद : जहाँ शहरों में लोग दिनभर की दौड़ धूप से तंग आकर त्योहारों का आनंद नही ले पाते. वही गाँव के लोग हर त्योहार को पूरे उत्साह से मनाते है। सच तो यह है कि भारत में अब त्योहारों का अस्तित्व केवल गाँवो में शेष रह गया है।एक दूसरे की मदद के लिये सदैव तत्पर : गाँवो में अब भी भाईचारे की भावना मौजूद है। यहाँ लोग एक-दूसरे के साथ परिवार की तरह रहते है, और एक-दूसरे की सहायता के लिये तत्पर रहते है।
शहरी भागदौड़ से दूर सुकून की ज़िंदगी : जहाँ बड़े-बड़े शहरों में लोग भाग दौड़ से तंग आ चुके है, वही ग्रामीण जीवन अब भी सुकून से भरा हुआ है। यहाँ लोग दिनभर की मेंहनत के बाद शाम में जल्दी खाना खाकर अपने आंगनों में आराम करते है, अपने दिनभर की बाते एक दूसरे को बताते है। वही शहरी लोग इन सब बातों से दूर दूर तक अंजान है।
इन सब बिन्दुओ के पढ़कर यह निष्कर्ष निकाल पाना मुश्किल है कि गाँव का जीवन बहुत अच्छा है या बहुत बुरा। मेरा मानना तो यह है कि शिक्षा ही हर समस्या का समाधान है इसलिए अपने बच्चों को जितना हो सके उच्च शिक्षित करे और अपने देश के विकास में योगदान दें।
ग्रामीण जीवन में सुधार कैसे लायें
ग्रामीण जीवन इतना बुरा नहीं है जितना हम उसे समझते हैं. लेकिन यह सच है की ग्रामीण जीवन में कुछ सुधार होने आवश्यक है और हम यह सुधार इस तरह से कर सकते हैं –
गाँव के लोगों को शिक्षा के प्रति आकर्षित करवाएं.
शिक्षा का महत्व बताएं.
गांवों में खेती में सुधार के लिए आधुनिक तरीके सुझाएँ.
अगर आप अच्छे पढ़े लिखे है तो अपने गाँव के विकास में योगदान देंवे.
अपने गाँव की समस्याओं से जिला कलेक्टर या सरकारी अधिकारी को अवगत करवाएं.
गाँव की प्राचीन धरोहर को संभाल कर रखें और उसे किसी भी तरह की क्षति ना आने देंवे.