Math, asked by rajeshyadav365, 1 month ago

ग्रामीण विद्युतीकरण परियोजना के अंतर्गत किसी बस्ती में प्रतिदिन दो पंखा और एक बल्ब जलाने पर प्रतिमाह बिजली पर औसतन खर्च ₹180 आता है यदि यदि विद्युत उत्पादन काव्य 20 परसेंट बढ़ जाए तू प्रति परिवार बिजली का खर्च कितने रुपए हो जाएगा​

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Answered by RUPAMCHAKRABORTY
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Answer:

10वीं और 11वीं योजना में पारित परियोजनाओं के अधूरे पड़े कामों को पूरा करना.

• 100 से अधिक आबादी वाले शेष बचे सभी जनगणना गावों और बस्तियों को कवर करने हेतु योजना को जारी रखना.

• 100 से अधिक आबादी वाले गाँवों में गरीबी रेखा के नीचे वाले परिवारों को 3000 प्रति कनैक्‍शन की दर पर मुफ्त बिजली कनैक्शन उपलब्ध करवाना.

• उन क्षेत्रों में जहां बिजली की आपूर्ति 6 घंटे प्रतिदिन से कम है वहां बिजली की अतिरिक्त उपलब्धता हेतु उन क्षेत्रों में डीडीजी को ग्रिड से जुड़े हुए क्षेत्रों तक विस्तारित किया जाना.

विदित हो कि लंबित पड़े कार्यों हेतु 12849 करोड़ रुपये सहित कुल 35447 करोड़ रुपये पूंजी अनुदान की आवश्यकता होनी है. 35447 करोड़ रुपये की कुल आवश्यकता में 23357 करोड़ रुपये 12वीं योजना की सकल बजटीय सहायता से आने हैं और शेष 12050 करोड़ रुपये 13वीं योजना के लिए लंबित है.

10वीं और 11वीं योजना के दौरान पारित 42060.44 करोड़ रुपये की परियोजना लागत वाली 648 परियोजनाओं में 112795 गैर विद्युतीयकृत गांवों, 402364 आंशिक विद्युतीकृत गांवों और 275.69 लाख बीपीएल परिवारों को कवर किया गया. 31 मार्च 2012 तक 140496 विद्युतीकृत गावों में विद्युतीकरण किया गया था, 248553 आंशिक रूप से विद्युतीकृत गावों का सघन विद्युतीकरण पूरा हो चुका था और 19425 लाख बीपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन जारी किए गए. योजना के तहत 31 मार्च 2012 तक 26151 करोड़ रुपये के पूंजी अनुदान का उपयोग किया गया.

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना की शुरूआत अप्रैल 2005 में सभी ग्रामीण परिवारों को विद्युत पहुंचाने के उद्देश्य से की गई थी. इस योजना के तहत गरीबी रेखा से जुड़े सभी परिवारों को मुफ्त में कनेक्शन उपलब्ध कराए जाते हैं. इस योजना के तहत परियोजना को पूंजी अनुदान का 90 प्रतिशत भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराया जाता है. राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना 28 हजार करोड़ रुपये के कुल पुंजी अनुदान के साथ 11वीं योजना में शामिल थी. वर्ष 2011-12 के दौरान योजना आयोग ने 6 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त पूंजी अनुदान पारित किया था.

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