ग्राम पंचायत की बैठकों में किन-किन विषयों पर बातचीत होती है।
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ग्रामसभा की वार्षिक बैठक अगले वित्तीय वर्ष के प्रारंभ होने से कम से कम तीन माह पहले ही कर लेना है। सालाना बैठक में ग्राम पंचायत के सालाना लेखा-जोखा विवरणी, बीते वर्ष की प्रशासन रिपोर्ट, ऑडिट रिपोर्ट, आगामी वित्तीय वर्ष के लिए प्रस्तावित विकास योजनाओं से संबंधित कार्यक्रम, ग्राम पंचायत की वार्षिक बजट व अगले वित्तीय वर्ष की वार्षिक बजट योजना, ग्राम पंचायत के मुखिया व सदस्यों की विशेष क्रियाकलाप योजना, आय एवं व्यय के संबंध में मांगा गया किसी प्रकार का स्पष्टीकरण आदि से संबंधित बातें रखी जानी है। ग्राम पंचायत उन सभी मामलों को ग्रामसभा की बैठक में रखेगी जिन्हें पंचायत समिति, जिला परिषद, उपायुक्त या जिलाधिकारी या कोई प्राधिकृत अधिकारी ऐसी बैठकों में रखे जाने की अपेक्षा रखते हों। सभी व्यस्क व्यक्तियों को ग्रामसभा की बैठक में अपनी भागीदारी देनी चाहिए ताकि सार्वजनिक मुद्दों पर बिना किसी भेदभाव से सही निर्णय लिया जाए और योजनाओं के क्रियान्वयन में पूरी पारदर्शिता बरती जाए।
योजनाओं पर ही नहीं मुद्दों पर भी करें ग्रामसभा
ग्रामसभा की बैठक में इस बात का ध्यान रखें कि यह बैठक सिर्फ योजनाओं का ब्योरा जानने के लिए ही नहीं है, बल्कि इस बैठक में गांव की सामाजिक समस्याओं पर भी विचार करना जरूरी है। सामाजिक समस्याओं का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ता है। गांव-घर की समस्याओं के निपटारा के लिए ग्रामसभा की बैठक एक महत्वपूर्ण अवसर है जहां प्रत्येक ग्रामीण विभिन्न विषयों पर खुलकर चर्चा कर सकते हैं। लोगों को जागरूक किया जा सकता है और जीवन में बदलाव लाया जा सकता है।
शिक्षा: गांव में बच्चों की अच्छी शिक्षा के लिए ग्रामसभा में चर्चा जरूर करें। साथ ही वैसे सभी लड़के-लड़कियां जिन्हें सरकारी योजनाओं के तहत किसी भी प्रकार की सहायता जैसे छात्रवृत्ति, पोशाक, साइकिल वितरण आदि नहीं मिल पा रहा हो तो इस प्रकार के सभी विषयों पर ग्रामसभा में चर्चा की जानी चाहिए। प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी तथा स्कूल के प्रधानाध्यापक को ग्रामसभा में बुला कर इस विषय पर जानकारी और लाभुकों के बारे में विस्तृत जानकारी ली जा सकती है।
महिला उत्पीड़न : गांवों की महिलाओं तथा बच्चियों के उत्पीड़न के मामलों पर ग्रामसभा में परिचर्चा की जानी चाहिए। महिला उत्पीड़न के मामलों पर चर्चा करने के लिए गांव-टोले की सभी महिलाओं को ग्रामसभा में उपस्थित होकर इस विषय पर जानकारी और अधिकारों की समझ देने के लिए जरूर बुलाएं। ग्रामसभा की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति गांव-टोले के महिला जनप्रतिनिधियों को इस चर्चा में अवश्य बुलाएं ताकि पंचायत में महिला उत्पीड़न की स्थिति को जाना जा सके। सभा में प्रखंड विकास पदाधिकारी तथा पुलिस पदाधिकारी को भी बुलाएं। पंचायत में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा का ब्योरा पंचायत रजिस्टर में लिखा जाना चाहिए। हिंसा के कारण और निवारण पर खुली चर्चा करें। महिला हिंसा पर रोक लगाने के लिए बैठक में इसकी निंदा करें और सार्वजनिक रूप से चेतावनी दें। इन विषयों पर चर्चा के लिए महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाएं।
अंधविश्वास तथा मानव तस्करी : ग्रामसभा अंधविश्वास के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए बुलाई जा सकती है। मुखिया अथवा ग्रामसभा की अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति पंचायत में अंधविश्वास के मामलों पर गंभीरता से चर्चा करने के लिए आम जनों को बुलाएं। अंधविश्वास की पीड़िता अधिकतर महिलाएं होती हैं इसलिए यह जरूरी है कि महिलाएं इसमें अधिकाधिक भाग लें और अंधविश्वास को रोकने के उपाय बताएं। ग्रामसभा मे विभिन्न सामाजिक कुरीतियों को सत्रों में बांट कर चर्चा कर सकते हैं। इन सत्रों में मानव तस्करी के मामलों पर भी चर्चा करें। महिला तस्करी के मामलों पर मुख्य रूप से ध्यान दें। प्रखंड विकास पदाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी अथवा महिला आयोग की सबसे निचले स्तर के पदाधिकारी/सदस्य को ग्रामसभा में बुलाया जा सकता है। इसके अलावा क्षेत्र में काम कर रहे स्वयंसेवी संगठनों के पदाधिकारियों को चर्चा के लिए बुलाया जा सकता है।
स्वास्थ्य सुविधा तथा शुद्ध पेयजल : ग्रामसभा बैठक में स्वास्थ्य सुविधाओं और शुद्ध पेयजल की व्यवस्था पर बातचीत करें। प्रखंड स्वास्थ्य पदाधिकारी, आंगनबाड़ी सेविका, सहिया तथा स्वास्थ्य विभाग के प्रखंड और पंचायत स्तर के कर्मचारियों से स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन पर जानकारी लें। सही दिशा में काम न होने पर स्पष्टीकरण मांगें। इसी प्रकार गांव में शुद्ध पेयजल उपलब्ध करवाने संबंधी योजनाओं के क्रियान्वयन के संबंध में जानकारी प्रखंड पदाधिकारी से लें। बच्चों में कुपोषण, गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण आदि पर चर्चा के लिए बाल विकास परियोजना पदाधिकारी को भी ग्रामसभा में बुलाया जा सकता।