ग्राम श्री कविता में वसुधा का रोमांच कैसे प्रकट हो रहा है
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वसुधावसुधा का रोमांच बहुत ही अच्छा था क्योंकि उसे उधर एक हिरण मिला जिसके पैर में चोट लगी थी पर उसने अपनी साड़ी की कंबल फाड़ के उसकी चोट पर उसकी साड़ी के कमल को बांध दिया उसे बहुत खुश हुआ और तभी वही रन एक देवता में प्रकट हुई और उसे भर दिया
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ग्राम श्री कविता में वसुधा का रोमांच इस प्रकार प्रकट हो रहा है कि गेंहू और जौ में बालियां अा गई है यह रोमांच उसी प्रकार प्रकट हो रहा है जैसे रोमांचित होने पर हमारे शरीर के रोएं खड़े हो जाते है।
- " ग्राम श्री " कविता में कवि ने ग्रामीण सौंदर्य का वर्णन किया है। गांव का सौंदर्य लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। गांव में चारो ओर हरियाली है। खेतो में फसलें लहरा रही है। रंग बिरंगे फूल खिले है।पेड़ फलों से लदे है।
- धरती रोमांचित लग रही है क्योंकि गेंहू तथा जौ में बालियां अा गई है। गेंहू व जौ की बालियों में दोनों पर लगे नुकीले भाग को देखकर लगता है कि ये धरती के रोम है। ये रोम धरती का रोमांच प्रकार कर रहे है।
- कविता में कवि ने गंगा की सतरंगी रेती व जल क्रीड़ा करते हुए पक्षियों को भी चित्रित किया है।
- हरा भरा गांव मरकत के डिब्बे की तरह लगता है।
#SPJ3
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