Hindi, asked by sahilmd2520, 8 months ago

ग्राम श्री कविता में वसुधा कैसी लग रही है​

Answers

Answered by shishir303
9

O ग्राम श्री कविता में वसुधा कैसी लग रही है​।

➲ ‘ ग्राम श्री’ कविता में वसुधा रोमांचित लग रही है।

वसुधा की रोमांच की शोभा अरहर और सन वसुधा की करघनी बनकर बढ़ा रहे हैं।

कवि सुमित्रानंदन पंत ‘ग्राम श्री’ कविता में कहते हैं कि...

रोमांचित सी लगती वसुधा

आई जौ गेहूं में बाली,

अरहर सनई की सोने की

किंकिनियाँ हैं शोभाशाली।

अर्थात जौ और गेहूँ में बालियां आ जाने से वसुधा यानि धरती खुशी से रोमांचित हो उठी है। गेहूँ और जौ की बालियां धरती की दंत पंक्तियों की तरह दिखाई प्रतीत हो रही हैं। अरहर और सन वसुधा की करघनी बनकर इस रोमांच की शोभा को बढ़ा रहे हैं।

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