गुरुर ब्रह्मह गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरा किस ग्रंथ का श्लोक है।
Answers
Explanation:
उप आदर्श : सम्मान, आदर
आदर्श : सही आचरण
गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु गुरुर देवो महेश्वरः
गुरुः साक्षात्परब्रह्मा तस्मै श्री गुरुवे नमः
गुरुर ब्रह्मा : गुरु ब्रह्मा (सृष्टिकर्ता) के समान हैं.
गुरुर विष्णु : गुरु विष्णु (संरक्षक) के समान हैं.
गुरुर देवो महेश्वरा : गुरु प्रभु महेश्वर (विनाशक) के समान हैं.
गुरुः साक्षात : सच्चा गुरु, आँखों के समक्ष
परब्रह्म : सर्वोच्च ब्रह्म
तस्मै : उस एकमात्र को
गुरुवे नमः : उस एकमात्र सच्चे गुरु को मैं नमन करता हूँ.
गुरु गु : अन्धकार
रु : हटाने वाला
कहानी :
एक समय की बात है एक रमणीय वन में एक आश्रम था. वहाँ महान ऋषि धौम्य अपने अनेकों शिष्यों के साथ रहते थे. एक दिन एक तंदुरूस्त एवं सुगठित बालक ,उपमन्यु, आश्रम में आया. वह देखने में शांत, मैला व अव्यस्थित था. बालक ने महान ऋषि धौम्य को नमन किया और उसे उनका शिष्य स्वीकार करने का निवेदन किया.
उन दिनों जीवन के वास्तविक आदर्शों तथा सभी में ईश्वर को देखने की शिक्षा-प्रशिक्षण देने के लिए, शिष्यों को स्वीकार या अस्वीकार करने का निर्णय गुरु का होता था.
ऋषि धौम्य इस तगड़े बालक उपमन्यु को स्वीकार करने के लिए सहमत हो गए. हालाँकि उपमन्यु आलसी तथा मंद बुद्धि था पर उसे आश्रम के अन्य सभी शिष्यों के साथ रखा गया. वह अपने अध्ययन में ज़्यादा रूचि नहीं लेता था. वह धर्मग्रंथों को ना तो समझ पाता था और ना ही उन्हें कंठस्त कर पाता था. उपमन्यु आज्ञाकारी भी नहीं था. उसमें कई उत्तम गुणों का अभाव था.
ऋषि धौम्य एक ज्ञानसम्पन्न आत्मा थे. उपमन्यु के सभी दोषों के बावजूद वह उससे प्रेम करते थे. वे उपमन्यु को अपने अन्य उज्जवल शिष्यों से भी अधिक प्यार करते थे. उपमन्यु भी ऋषि धौम्य को अपना प्रेम लौटाने लगा. अब वह अपने गुरु के लिए कुछ भी करने को तैयार था.