गौरा साहित्य की कौन सी - गध विधा है?
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साहित्य की विधाएँ
संस्कृत साहित्य के आचार्यों ने समूचे साहित्य को दृश्य काव्य और श्रव्य काव्य - इन दो भागों में विभाजित किया है।
(1) दृश्य काव्य में नाटक (रूपक और उपरूपक) हैं।
(2) श्रव्यकाव्य में पद्य (कविता या काव्य) और गद्य ये प्रमुख दो साहित्य के भेद हैं।
दृश्यकाव्य का चक्षुओं (आँखों) द्वारा तथा श्रव्यकाव्य का श्रवणेंदि्रय (कानों) द्वारा रसास्वादन किया जाता है। संस्कृत साहित्य के समान ही हिन्दी साहित्य में भी नाटक (अनेकांकी एकांकी, रेडियोरूपक आदि) तथा पद्य (महाकाव्य, खण्डकाव्य, मुक्तक, तुकान्त, अतुकान्त आदि) और गद्य की अनेक विधायें : लघुकथा, कहानी, उपन्यास, व्यंग्य, यात्र वृत्तान्त, निबन्ध, संस्मरण, रेखाचित्र, रिपोर्ताज, डायरी, गद्यकाव्य आलोचना तथा समीक्षा आदि हैं। इन सभी विधाओं में सृजनात्मक तथा विचारात्मक साहित्य दीर्घकाल से निरंतर विद्वानों द्वारा लिखा जा रहा है।
प्रमुख साहित्यिक विधाएँ हैं-
कविता
लघुकथा
कहानी
उपन्यास
एकांकी
नाटक
प्रहसन (कामेडी)
निबन्ध
आलोचना
रिपोर्ताज
डायरी लेखन
जीवनी
आत्मकथा
संस्मरण
गल्प (फिक्शन)
विज्ञान कथा (साइंस फिक्शन)
व्यंग्य
रेखाचित्र
पुस्तक-समीक्षा या पर्यालोचन
साक्षात्कार
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