गिरिशिखरे ननु निजनिकेतनम्।
विनैव यानं नगारोहणम्॥
बलं स्वकीयं भवति साधनम्।
सदैव पुरतो ……………………….. ॥
अन्वय : ननु गिरिशिखरे निजनिकेतनम्, यानं विना एव नगारोहणम्। स्वकीयं बलं साधनम् भवति, सदैव पुरतः चरणम् निधेहि।।।
शब्दार्थ : गिरिशिखरे-पर्वत की चोटी पर। ननु-निश्चय से। निजनिकेतनम्-अपना निवास। विनैव-बिना ही। यानम्-वाहन। नगारोहणम्-पर्वत पर चढ़ना। बलम्-शक्ति (ताकत)। स्वकीयम्-अपना। साधनम्-साधन (माध्यम)।
सरलार्थ : निश्चय (निश्चित रूप) से पर्वत की चोटी पर अपना घर है। अतः बिना वाहन के ही पहाड़ पर चढ़ना है। (उस समय तो) अपना बल ही अपना साधन होता है। इसलिए सदा ही आगे कदम रखो।
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what I can't understand what do you want to say.
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plz subscribe s.b. barbeihoop
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