ग्रीष्मावकाश का अनुभव per Ek paragraph
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मेरा स्कूल 18 मई को ग्रीष्मावकाश के लिए बन्द हो गया । मैंने पहले से घर जाने का कार्यक्रम बना रखा था । अत: स्कूल बन्द होते ही मैंने अपना सामान बाँधा और सहारनपुर के लिए पहली गाड़ी पकड़ ली ।
मई को ग्रीष्मावकाश के लिए बन्द हो गया । मैंने पहले से घर जाने का कार्यक्रम बना रखा था । अत: स्कूल बन्द होते ही मैंने अपना सामान बाँधा और सहारनपुर के लिए पहली गाड़ी पकड़ ली ।शाम को मैं अपने घर पहुच गया । कई महीनों के बाद मुझे देखकर मेरी माँ बड़ी प्रसन्न हुई और उसने मुझे छाती से लगा लिया । अपने भाई-बहनों से मिलकर मैं भी बहुत खुश था ।
अगले दिन मेरे मित्र मुझसे मिलने आने लगे । मै भी बड़ी गर्मजोशी से उनसे मिला । शाम को मैं अपने कुछ मित्रों के साथ घूमने निकल पड़ा । मार्ग में बहुत-से पुराने परिचित मिले । मुझे स्कूल में छुट्टियों के दौरान कुछ पढ़ाई-लिखाई का काम दिया गया था ।
अगले दिन मेरे मित्र मुझसे मिलने आने लगे । मै भी बड़ी गर्मजोशी से उनसे मिला । शाम को मैं अपने कुछ मित्रों के साथ घूमने निकल पड़ा । मार्ग में बहुत-से पुराने परिचित मिले । मुझे स्कूल में छुट्टियों के दौरान कुछ पढ़ाई-लिखाई का काम दिया गया था ।सुबह मैं वह काम पूरा करता । इस तरह मित्रों से मिलते-जुलते और स्कूल का काम करने में मुझे दो सप्ताह लग गए । अब केवल पढाई दुहराने का काम बच गया था । घर आए पन्द्रह दिन गुजर गए और पता ही नहीं लगा । पन्द्रहवे दिन मेरे बड़े भाई का पत्र मिला । वे आगरा में रहते थे ।
अगले दिन मेरे मित्र मुझसे मिलने आने लगे । मै भी बड़ी गर्मजोशी से उनसे मिला । शाम को मैं अपने कुछ मित्रों के साथ घूमने निकल पड़ा । मार्ग में बहुत-से पुराने परिचित मिले । मुझे स्कूल में छुट्टियों के दौरान कुछ पढ़ाई-लिखाई का काम दिया गया था ।सुबह मैं वह काम पूरा करता । इस तरह मित्रों से मिलते-जुलते और स्कूल का काम करने में मुझे दो सप्ताह लग गए । अब केवल पढाई दुहराने का काम बच गया था । घर आए पन्द्रह दिन गुजर गए और पता ही नहीं लगा । पन्द्रहवे दिन मेरे बड़े भाई का पत्र मिला । वे आगरा में रहते थे ।उन्होंने मुझे आगरा आने को लिखा था । इस प्रस्ताव को पढ़कर मेरी बांछें खिल पड़ी, लेकिन थोड़ी ही देर में यह याद करके मेरा उत्साह ठंडा पड़ने लगा कि आगरा में बहुत गर्मी पड़ती है । लेकिन वही का ताजमहल तथा अन्य ऐतिहासिक स्थल देखने की लालसा ने मुझे प्रसन्नता दी ।
अगले दिन मेरे मित्र मुझसे मिलने आने लगे । मै भी बड़ी गर्मजोशी से उनसे मिला । शाम को मैं अपने कुछ मित्रों के साथ घूमने निकल पड़ा । मार्ग में बहुत-से पुराने परिचित मिले । मुझे स्कूल में छुट्टियों के दौरान कुछ पढ़ाई-लिखाई का काम दिया गया था ।सुबह मैं वह काम पूरा करता । इस तरह मित्रों से मिलते-जुलते और स्कूल का काम करने में मुझे दो सप्ताह लग गए । अब केवल पढाई दुहराने का काम बच गया था । घर आए पन्द्रह दिन गुजर गए और पता ही नहीं लगा । पन्द्रहवे दिन मेरे बड़े भाई का पत्र मिला । वे आगरा में रहते थे ।उन्होंने मुझे आगरा आने को लिखा था । इस प्रस्ताव को पढ़कर मेरी बांछें खिल पड़ी, लेकिन थोड़ी ही देर में यह याद करके मेरा उत्साह ठंडा पड़ने लगा कि आगरा में बहुत गर्मी पड़ती है । लेकिन वही का ताजमहल तथा अन्य ऐतिहासिक स्थल देखने की लालसा ने मुझे प्रसन्नता दी ।मैंने मन को यह कह कर समझा लिया कि गर्मी में मेरा भाई भाभी आदि रह सकते हैं, उसमें मुझे क्या विशेष कष्ट होगा । मैं उसी दिन रात की गाड़ी से आगरा के लिए रवाना हो गया और प्रातःकाल आगरा पहुँच गया ।
छुट्टियों की याद अभी भी ताजा थी ।