ग्रीष्मावकाश की छुट्टियों का सदुपयोग का निबंध
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किसी ने सत्य ही कहा है कि ”परिवर्तन में ही वास्तविक आनंद होता है ।” मनुष्य जब एक ही कार्य को लगातार करता रहता है तो कुछ समय बाद उसकी ऊर्जा का ह्रास होना प्रारंभ हो जाता है ।
कार्य की एकरसता के कारण उसके जीवन में नीरसता घर कर लेती है । इन स्थितियों में छुट्टी का दिन उसके लिए बहुत महत्वुपूर्ण हो जाता है क्योंकि इससे उसके शरीर और मस्तिष्क दोनों को ही आराम मिलता है तथा मन-मस्तिष्क में एक नवीन स्कूर्ति व नवचेतना का संचार होता है ।
मनुष्य विभिन्न अवसरों व समय के अनुसार लघु एवं दीर्घकालीन छुट्टियों का आनंद लेता है । सप्ताह में एक दिन होने वाला अनिवार्य अवकाश लघुकालीन होता है तथा किसी पर्व व स्वेच्छा से कई दिनों तक लिया गया अवकाश दीर्घकालीन अवकाश होता है । छात्रों के लिए परीक्षा के पश्चात् होने वाला ग्रीष्मावकाश दीर्घ अवकाश होता है ।
आज के महानगरीय जीवन की व्यस्तताएँ व्यक्तियों को निरंतर कार्य करते रहने के कारण तनाव व थकान से भर देती हैं । ऐसे में छुट्टियाँ बहुत आवश्यक हो जाती हैं क्योंकि यही एकमात्र साधन है जो यहाँ के लोगों को कुछ राहत दे सकता है । लोग इच्छित ढंग से जीवन जीकर स्वयं को तनाव-मुक्त कर सकते हैं ।
निस्संदेह छुट्टियाँ सभी के लिए अनिवार्य हैं । छुट्टियों में मनुष्य अपनी सामान्य दिनचर्या से हटकर वह कार्य कर सकता है जिससे उसका आत्मविकास संभव है । देशाटन आदि से उसे नए-नए स्थलों व लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है ।
उसके मन-मस्तिष्क मे नवीन चेतना व स्कूर्ति को संचार होता है जिससे उसकी कार्य-क्षमता अन्य लोगों की तुलना मैं बहुत बढ़ जाती है । अत: छुट्टियाँ चाहे दीर्घावधि की हों अथवा अल्पावधि की, इनकी उपयोगिता हमेशा बनी रहेगी ।
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