ग्रिषम अवकाश कैसे बिताए,लिखो
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गर्मी की छुट्टिया कैसे बिताई
गर्मी की छुट्टिया मतलब ढेर सारी मस्ती |इसका इंतज़ार हर किसी को होता है ,बच्चे खुश होते है क्योकि परीक्षा क बाद उनको राहत मिलती है|सुबह सुबह उठकर विद्यालय जाने के लिए तैयार नहीं होना पड़ता है |इस बार मैंने भी गर्मी की छुट्टियो मे कही न कही जाने का मन बनाया |मेने अपने माता पिता के साथ राजस्थान घूमने का फैसला किया |माता पिता भी इसके लिए राज़ी हो गए थे ,मै बहुत खुश था |सारी तैयारी हो चुकी थी |
अगली सुबह हमारी ट्रेन थी ,हम सभी जल्दी उठ के तैयार हो गए और स्टेशन के लिए निकल पड़े |स्टेशन पहुँच कर हमने प्लैटफ़ार्म पर जहा हमारी ट्रेन आनी , ट्रेन के आने का इंतज़ार किया |जैसे ट्रेन आई हमने सामान अपनी अपनी जगहो पर रख दिया और यहाँ से हमारा सफर शुरू हुआ।|
अगले दिन हम उदयपुर पहुँच गए|हमने वहाँ होटल पहुँच कर थोड़ा आराम किया |चाय नाश्ता करके हम घूमने निकल पड़े |उदयपुर को सिटि ऑफ लेक्स भी कहा जाता। उदयपुर चारो और से छोटे छोटे तालाबो से घिरा हुआ है |राजस्थानी खुशबों से महकता उदयपुर शहर बहुत ही सुंदर है|वहाँ बड़े बड़े राजा महाराजाओ के महल है जैसे फतेहसागर महल,जलमहल आदि|हमने सारे महल बहुत उत्सुकता से देखे व बहुत खुश हुए |शाम होते ही हम होटल लौट आए और विश्राम किया |अगले दिन सुबह हमने वहाँ का सन राइस पॉइंट देखा जो की अपने आप मे बहुत अलग था। सूरज की तेज़ रोशनी से पूरा उदयपुर सोने की चादर से ढका सा लग रहा था |उसके पश्चात हमने वह के जगत मंदिर के दर्शन किए व वह की महा आरती देखी जो अपने आप मे सुभाग्यपूर्ण थी |
वहाँ के बाज़ार भी बहुत रंग बिरंगे सजे हुए थे जहा राजस्थानी कलाकारी का अनूखा रूप देखने को मिला |मेने अपने लिए बहुत सी कलात्मक वस्तुए खरीदी |जिसमे मीनाकारी की हुई पेंटिंग थी|शाम होते होते हम सभी थक गए थे |हम होटल के लिए निकाल पड़े वहाँ जाके विश्राम किया |अगले दिन हमारी वापिसी की ट्रेन थी|यह सफर मेरे लिए बहुत सारी उत्सुक्तपूर्ण व खुशिया लेके आया था |मुझे गर्मी की छुट्टी हमेशा याद रहगी |.
गर्मी की छुट्टिया मतलब ढेर सारी मस्ती |इसका इंतज़ार हर किसी को होता है ,बच्चे खुश होते है क्योकि परीक्षा क बाद उनको राहत मिलती है|सुबह सुबह उठकर विद्यालय जाने के लिए तैयार नहीं होना पड़ता है |इस बार मैंने भी गर्मी की छुट्टियो मे कही न कही जाने का मन बनाया |मेने अपने माता पिता के साथ राजस्थान घूमने का फैसला किया |माता पिता भी इसके लिए राज़ी हो गए थे ,मै बहुत खुश था |सारी तैयारी हो चुकी थी |
अगली सुबह हमारी ट्रेन थी ,हम सभी जल्दी उठ के तैयार हो गए और स्टेशन के लिए निकल पड़े |स्टेशन पहुँच कर हमने प्लैटफ़ार्म पर जहा हमारी ट्रेन आनी , ट्रेन के आने का इंतज़ार किया |जैसे ट्रेन आई हमने सामान अपनी अपनी जगहो पर रख दिया और यहाँ से हमारा सफर शुरू हुआ।|
अगले दिन हम उदयपुर पहुँच गए|हमने वहाँ होटल पहुँच कर थोड़ा आराम किया |चाय नाश्ता करके हम घूमने निकल पड़े |उदयपुर को सिटि ऑफ लेक्स भी कहा जाता। उदयपुर चारो और से छोटे छोटे तालाबो से घिरा हुआ है |राजस्थानी खुशबों से महकता उदयपुर शहर बहुत ही सुंदर है|वहाँ बड़े बड़े राजा महाराजाओ के महल है जैसे फतेहसागर महल,जलमहल आदि|हमने सारे महल बहुत उत्सुकता से देखे व बहुत खुश हुए |शाम होते ही हम होटल लौट आए और विश्राम किया |अगले दिन सुबह हमने वहाँ का सन राइस पॉइंट देखा जो की अपने आप मे बहुत अलग था। सूरज की तेज़ रोशनी से पूरा उदयपुर सोने की चादर से ढका सा लग रहा था |उसके पश्चात हमने वह के जगत मंदिर के दर्शन किए व वह की महा आरती देखी जो अपने आप मे सुभाग्यपूर्ण थी |
वहाँ के बाज़ार भी बहुत रंग बिरंगे सजे हुए थे जहा राजस्थानी कलाकारी का अनूखा रूप देखने को मिला |मेने अपने लिए बहुत सी कलात्मक वस्तुए खरीदी |जिसमे मीनाकारी की हुई पेंटिंग थी|शाम होते होते हम सभी थक गए थे |हम होटल के लिए निकाल पड़े वहाँ जाके विश्राम किया |अगले दिन हमारी वापिसी की ट्रेन थी|यह सफर मेरे लिए बहुत सारी उत्सुक्तपूर्ण व खुशिया लेके आया था |मुझे गर्मी की छुट्टी हमेशा याद रहगी |.
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