गुरुदेव कुत्ते की स्वाभाविकता का वर्णन किस तरह करते हैं
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एक कुता और एक मैना' पाठ से स्पष्ट है कि मूक प्राणी भी कम संवेदनशील नहीं होते। इस दृष्टि से कुत्ते का व्यवहार दर्शनीय है। जब गुरुदेव उसे शांतिनिकेतन में छोड़कर श्रीनिकेतन में चले आते हैं तो कुत्ता ढूंढते-ढूंढते वहाँ जा पहुँचता है। वह गुरुदेव का स्पर्श पाते ही आनंद से उमंगित हो उठता है।
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जब कुत्ता रविन्द्रनाथ के स्पर्श को आँखे बंद करके अनुभव करता है, तब ऐसा लगता है मानों उसके अतृप्त मन को उस स्पर्श ने तृप्ति मिल गई हो।
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