Hindi, asked by AnanyaBaalveer, 2 days ago

गौरैया और गौरा की बहस के तर्कों को एकत्र करें और उन्हें संवाद के रूप में लिखें।

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Answers

Answered by pr6376263
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Explanation:

गवरइया और गवरे की बहस आदमी के कपड़े पहनने पर शुरू हुई थी। इसके बाद गवइया ने टोपी पहनने की इच्छा जाहिर की। जब गवरइया को रुई का फाहा मिल गया तो फिर गवरा ने उससे बहस की। गवरा का कहना था कि उसके लिए टोपी कोई नहीं बनाएगा। क्योंकि सब राजा का काम कर रहे हैं। गवरइया और गवरे की बहस को इस प्रकार लिखा जा सकता है।

गवरइया- देखते हो, आदमी रंग-बिरंगे कपड़े पहनकर कितना सुंदर दिखाई देता है।

गवरा - पागल है क्या? आदमी कपड़े पहनकर बदसूरत दिखता है।

गवरइया- लगता है आज लटजीरा चुग आए हो? आदमी पर कपड़ा कितना फ़बता है?

गवरा - खाक फ़बता है। कपड़े से मनुष्य की खूबसूरती ढक जाती है। अब तुम्हारे शरीर का एक-एक कटाव मैं

जो देख रहा हूँ, कपड़े पहनने में कैसे देख पाता।

गवरइया- आदमी मौसम की मार से भी बचने के लिए कपड़े पहनता है।

गवरा - कपड़े पहनने से आदमी की सहनशक्ति भी प्रभावित होती है। साथ ही कपड़े पहनने से आदमी की हैसियत में भी तो फ़र्क दिखने लगता है।

गवरइया- आदमी की टोपी तो सबसे अच्छी होती है। मेरा भी मन टोपी पहनने को करता है।

गवरा - तू टोपी की बात कर रही है! टोपी की तो बहुत मुसीबते हैं। जरा-सी चूक हुई और टोपी उछलते देर नहीं लगती। मेरी मान तो तू इस चक्कर में पड़ ही मत।

गवरइया- मिल गया, मिल गया, मुझे रुई का फ़ाहा मिल गया।

गवरा - लगता है तू पगला गई है। तुझे पता है, रुई से टोपी बनवाने का सफ़र कितना कठिन है?

गवरइया- टोपी तो बनवानी है चाहे जैसे भी बने।

Answered by 66rajmore
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गवरइया :- “आदमी को देखते हो? कैसे रंग − बिरंगे कपड़े पहनते हैं। कितना फबता है उन पर कपड़ा।”

गवरा :- “खाक फबता है। कपड़ा पहन लेने के बाद तो आदमी और बदसूरत लगने लगता है।”

गवरइया :- “लगता है आज लटजीरा चुग गए हो?”

गवरइया :- “कपड़े केवल अच्छा लगने के लिए नहीं मौसम की मार से बचने के लिए भी पहनता है आदमी।”

गवरा :- “तू समझती नहीं। कपड़े पहन − पहन कर जाड़ा−गरमी−बरसात सहने की उनकी सकत भी जाती रही है और कपड़ा पहनते ही पहनने वाले की औकात पता चल जाता है।”

गवरइया :- “फिर भी आदमी कपड़ा पहनने से बाज़ नहीं आता। नित नए – नए लिबास सिलवाता रहता है।”

गवरा :– “यह निरा पोंगापन है। अपन तो नंगे ही भले।”

गवरइया :- “उनके सिर पर टोपी कितनी अच्छी लगती है। मेरा भी मन टोपी पहनने का करता है।”

गवरा :- “टोपी तू पाएगी कहाँ से। टोपी तो आदमियों का राजा पहनता है। मेरी मान तो तू इस चक्कर में पड़ ही मत”।

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