गिरगिट का सपना chapter hai
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मन ही मन सोचा कि कितना अच्छा होता अगर वह कौवा न बनकर गिरगिट ही बना रहता! जब काफ़ी देर बाद भी गुलेल का पत्थर उसे नहीं लगा, तो उसने आंखें खोल लीं. वह अपनी उसी जगह पर था, जहां सोया था. पंख-वंख अब ग़ायब हो गए थे और वह वही गिरगिट का गिरगिट था
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