India Languages, asked by sv567322, 1 month ago

गा रहे गुणी‌ सुजान इस पंक्ति का क्या अर्थ है​

Answers

Answered by jnvaishagupta
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Answer:

आत्म बोध

प्रयोगी।

ओ३म् अनेक बार बोल

प्रेम

के

है यही अनादि नाद, निर्विकल्प, निर्विवाद।

भूलते न पूज्यपाद, वीतराग योगी।।1।।

वेद को प्रमाण मान अर्थ-योजना बखान।

गा रहे गुणी सुजान, साधु स्वर्ग-भोगी।।2।।

ध्यान में धरे विरक्त, भाव से भजे सुभक्त।

त्यागते अघी अशक्त पोच पाप रोगी।।3।।

शंकरादि नित्य नाम जो जपे विसार काम।

तो बने विवेक-धाम, मुक्ति क्यों न होगी।। 4 ।।

भाव : ओ३म् के सार्थक जप व ध्यान से मनुष्य का सर्व कल्याण

सम्भव है। शंकर, शिव, ब्रह्मा व विष्णु सब उसी के नाम हैं। इसके

जप से मनुष्य विवेकशील बनता है।

अभ्यास

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