English, asked by aliabbassayyed747, 6 months ago

गोरज बिराजै भाल लहलही बनमाल
आगे गैयाँ पाछे ग्वाल गावै मृदु बानि री।
तैसी धुनि बाँसुरी की मधुर मधुर, जैसी
बंक चितवनि मंद-मंद मुसकानि री।
कदम बिटप के निकट तटिनी के तट
अटा चढ़ि चाहि पीत पट फहरानि री।
रस बरसावै तन-तपनि बुझावै नैन
प्राननि रिझावै वह आवै रसखानि री।।7।।
रस​

Answers

Answered by guptaswati3101
4

Answer:

एक सखी दूसरी सखी से दूर यमुना का दृश्य दिखाते हुए वार्तालाप करती है की वह देखो गायों के पैरों से निकली धूल श्री कृष्ण के मस्तक पर सुशोभित हो रही है। उनके हृदय पर पुष्पों की माला लहरा रही है। उनके आगे आगे गाय चल रही है और पीछे पीछे ग्वाले मधुर वाणी में गीत गाते हुए आ रहे हैं।

और उतनी ही मधुर ध्वनि उनकी बांसुरी से निकल रही है।

हे सखी! ए सखी वह देखो कदंब के वृक्ष के पास यमुना नदी के किनारे खड़े श्री कृष्ण के पीले वस्त्रों का फहराना जरा अटारी पर चढ़कर देखो। वह श्रीकृष्ण चारों और प्रेम रस की वर्षा करते हुए शरीर और मन की जलन को शांत कर रहे हैं। उनका सौंदर्य नेत्रों की प्यास को बुझा रहा है और प्राणों को मोहित कर रहा है।

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