गौरक्षा तथा आर्यभाषा की प्रतिष्ठा के लिए स्वामीजी ने क्या किया
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स्वामी जी ने यह गरिमामय नेतृत्व कदाचित सबसे पहले प्रदान किया। उस समय कतिपय लोग इस दुष्प्रचार में लगे थे कि हिंदी यहां की भाषा नहीं है। प्रत्युत बाहर से लायी गयी है। स्वामी दयानंद ने इस धारणा का विरोध किया तथा हिंदी को 'आर्य भाषा' नाम देकर उसे प्रतिष्ठा प्रदान की
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स्वामी जी ने यह गरिमामय नेतृत्व कदाचित सबसे पहले प्रदान किया। उस समय कतिपय लोग इस दुष्प्रचार में लगे थे कि हिंदी यहां की भाषा नहीं है। प्रत्युत बाहर से लायी गयी है। स्वामी दयानंद ने इस धारणा का विरोध किया तथा हिंदी को 'आर्य भाषा' नाम देकर उसे प्रतिष्ठा प्रदान की।
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