गुरदयाल सिंह uska bare me likna hai
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गुरदयाल सिंह राही एक भारतीय लेखक और उपन्यासकार थे जिन्होंने पंजाबी में लिखा था। उन्होंने अपने साहित्यिक करियर की शुरुआत 1957 में एक छोटी कहानी "भागनवाले" से की थी। उन्हें एक उपन्यासकार के रूप में जाना गया जब उन्होंने 1964 में मरही दा देवा उपन्यास को प्रकाशित किया।
जन्म: १० जनवरी १ ९ ३३, पंजाब प्रांत
निधन: 16 अगस्त 2016, भटिंडा
पुरस्कार: ज्ञानपीठ पुरस्कार, पद्म श्री
फ़िल्में: ऑल्ट्स फॉर ए ब्लाइंड हॉर्स, मेरी दा देवा
माता-पिता: निहाल कौर, जगत सिंह
श्री गुरदयाल सिंह का जन्म 10 जनवरी 1933 को उनके नानका गाँव भैनी फत्ता जिला बरनाला में हुआ।उनके पिता का नाम श्री जगत सिंह और माता का नाम निहाल कौर था।वो पंजाब के जैतो गाँव के रहने वाले थे।उनके तीन भाई और एक बहन थी।घरेलू कारणों की वजह के कारण उन्होंने बचपन में अपनी पढ़ाई छोड़ अपना पुश्तैनी बढई काम करना शुरू कर दिया।बाद में उन्होंने कड़ी मेहनत करके उच्च विद्या हासिल करके युनिवर्सटी में प्राध्यापक की पदवी प्राप्त की।उनका बलवंत कौर के साथ विवाह हुआ और उनके घर एक बेटा और एक बेटी हुई।ज्ञानपीठ पुरस्कारविजेता श्री गुरदयाल सिंह का 16 अगस्त 2016 को निधन हो गया16 ਅਗਸਤ 2016[2]