Hindi, asked by Nikunjgrg166, 1 year ago

गिरधर कविराय का जीवन परिचय देते हुए स्पष्ट कीजिए जिनकी नीतिपरक कुंडलियां हमें लोकव्यवहार का ज्ञान कराती हैं 300 शब्द

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Answered by tarunjoshi8383
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गिरिधर कविराय, हिंदी के प्रख्यात कवि थे। इनके समय और जीवन के संबंध में प्रामाणिक रूप से कुछ भी उपलब्ध नहीं है। अनुमान किया जाता है कि वे अवध के किसी स्थान के निवसी थे और क दाचित् जाति के भाट थे। शिवसिंह सेंगर के मतानुसार इनका जन्म 1713 ई. में हुआ था।

इनके संबंध में एक जनश्रुति प्रख्यात है। कहा जाता है कि किसी कारण एक बढ़ई से इनकी अनबन हो गई। उस बढ़ई ने एक ऐसी चारपाई बनाई जिसके चारों कोनों पर चार पंख लगे हुए थे। जैसे ही कोई उसपर सोता था वे पंख चलने लगते थे। उसने चारपाई अपने प्रदेश के राजा को भेंट की। राजा बहुत प्रसन्न हुए और उससे वैसे ही कुछ और चारपाइयाँ बनाने को कहा। बढ़ई को गिरिधर कविराय से बदला लेने का यह अच्छा अवसर जान पड़ा। उसने कहा कि खाटों को बनाने के लिए बेर की लकड़ी चाहिए। गिरिधर के आँगन में बेर का एक अच्छा पेड़ है उसे दिला दीजिए। राजा ने उनसे वह पेड़ माँगा। जब उन्होंने नहीं दिया तो वह जबर्दस्ती काट लिया गया। इस कृत्य वे बहुत क्षुब्ध हुए और सपत्नीक उस राज से निकलकर चले गए। आजीवन अपनी कुंडलियाँ सुनाकर माँगते खाते रहे।

इनकी कुंडलियाँ दैनिक जीवन की बातों से संबद्ध हैं और सीधी-सरल भाषा में कही गई हैं। वे प्राय: नीतिपरक हैं जिनमें परंपरा के अतिरिक्त अनुभव का पुट भी है। कुछ कुंडलियों में ‘साईं’ छाप मिलता है जिनके संबंध में धारण है कि उनकी पत्नी की रचना है।

ऐसा अनुमान है कि गिरिधर पन्जाब के रह्नेवाले थे किन्थु बाद इलाहाबाद के पास रहे। गिरिधर कविराय ग्रन्थावलि ५०० से अधिक कवितायए से सन्कलित है।

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Answered by jitu06121
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Giridhar kavirai ka Parichay

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