गोस्वामी तुलसीदासजी सत्संग के बारे में क्या कहते हैं?
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तुलसीदास के अनुसार, प्रभु से प्रथम मुलाकात सत्संग से ही होती है। सत्संग के बिना विवेक नहीं होता और राम की कृपा के बिना वह सत्संग सहज में मिलता नहीं। सत्संगति आनंद और कल्याण की जड़ है। सत्संग की सिद्धि ही फल है और सब साधन तो फूल है।
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