History, asked by abhishek729266, 10 months ago

(ग) सीवन को उधेड़कर देखोगे क्यों मेरी कंथा की' यहाँ 'कंघा'
का अर्थ है:
(i) अन्तर्मन
(ii) कविता
(iii) चद्दर
(iv) गूदड़ी​

Answers

Answered by renushaw777
0

Answer:

I) is the answer

hopefully it helps you....

Answered by crkavya123
0

Answer:

(i) अन्तर्मन

Explanation:

लेखक वाक्य के माध्यम से यह बताने का प्रयास कर रहा है कि मेरी आत्मकथा पढ़ने से मेरी चिर-विस्मृत व्यथा फिर से जाग उठेगी। जिन विपत्तियों को मैं भूल चुका हूँ, उन्हें खंगालने से तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा। क्योंकि मैं केवल उदासी से भरा हुआ हूं, बेहतर होगा कि आप मेरी उन यादों को बाधित न करें।

जयशंकर प्रसाद (30 जनवरी 1889 [1] - 15 नवंबर 1937) [3] आधुनिक हिंदी साहित्य के साथ-साथ हिंदी रंगमंच के एक प्रमुख व्यक्ति थे। प्रसाद उनका कलम नाम था। उन्हें छायावादी कवि के रूप में भी जाना जाता था।

काव्यात्मक शैली

प्रसाद ने 'कलाधर' के कलम नाम से कविता लिखना शुरू किया। जय शंकर प्रसाद द्वारा रचित कविता का पहला संग्रह, चित्रधर, हिंदी की ब्रज बोली में लिखा गया था, लेकिन उनकी बाद की रचनाएँ खादी बोली या संस्कृतकृत हिंदी में लिखी गईं।

बाद में प्रसाद ने हिंदी साहित्य में एक साहित्यिक प्रवृत्ति 'छायावाद' का प्रचार किया।

उन्हें सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा और सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' के साथ हिंदी साहित्य (छायावाद) में स्वच्छंदतावाद के चार स्तंभों (चार स्तंभ) में से एक माना जाता है।

उनकी शब्दावली हिंदी के फारसी तत्व से बचती है और इसमें मुख्य रूप से संस्कृत (तत्सम) शब्द और संस्कृत (तद्भव शब्द) से प्राप्त शब्द शामिल हैं। उनकी कविता का विषय रोमांटिक से लेकर राष्ट्रवादी तक, उनके युग के विषयों के पूरे क्षितिज को फैलाता है।

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