गोसवामी तुलसीदास के कला पक्ष
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गोसवामी तुलसीदास के कला पक्ष
1. भाषा - आप संस्कृत के प्रकाण्ड विद्वान थे । आपने अपनी रचनाओं में मुख्यतः अवधी और ब्रज भाषा का प्रयोग किया है । रामचरित मानस अवधी में तथा तथा कवितावली , गीतावली, विनय पत्रिका आदि की रचना ब्रज भाषा में की है। आपकी भाषा सरल,सरस, एवं रोचक है । कहीं -कहीं आपकी रचनाओं में भोजपुरी, बुंदेलखंडी तथा अरबी और फ़ारसी के शब्द भी मिलते हैं ।
2. छंद एवं अलंकार - आपने मुख्यतः दोहा, चौपाई, सवैया छंदों का प्रयोग किया है । दोहा , चौपाई , कवित्त छंद में रामचरित मानस की रचना की । गीतावली , विनयपत्रिका पद शैली में और कवितावली की रचना सवैया में किया । दोहावली की रचना दोहा छंद में की ।
आपकी रचनाओं में अनुप्रास, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा आदि अलंकारों की छटा दृष्टव्य है ।
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