ग. श्लेष का शाब्दिक अर्थ बताइए।
Answers
श्लेष के अनेक शाब्दिक अर्थ है, जैसे...
संयोग, मिलाप, जुड़ाव, लगाव, मिलन, आकर्षण, आलिंगन, निकटता आदि।
श्लेष शब्द का निर्माण शिलष् + यण के योग से होता है, जिसका मूल अर्थ होता है.. चिपकना, अर्थात जहाँ एक ही शब्द से अनेक अर्थ उत्पन्न होते हैं।
श्लेष एक अर्थालंकार भी होता है, जिसकी परिभाषा के अनुसार एक काव्य में प्रयुक्त एक ही शब्द के संदर्भ के अनुसार अलग-अलग अर्थ निकलते हैं, वहां पर श्लेष अलंकार होता है। जैसे,
रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून ।
पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून ।।
यहां पर पानी के अलग-अलग अर्थ निकल रहे हैं, जोकि मनुष्य की विनम्रता, तेज और जल हैं।
Answer:
☯︎श्लेष के शाब्दिक अर्थ-
- ✈︎किसी वाक्य आदि में प्रयुक्त वह शब्द, वाक्यांश आदि जिसके एक से अधिक अर्थ निकलें
- ✈︎साहित्य में एक शब्दालंकार जिसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिनके अनेक अर्थ होते हैं और वे प्रसंगों के अनुसार कई तरह से अलग-अलग घटते हैं
- ✈︎श्लेषक, श्लेषी, श्लिष्ट संयोग होना।
- ✈︎जुड़ना
- ✈︎मिलना
- ✈︎आलिंगन
- ✈︎परिरंभण
- ✈︎बोल चाल लेआदि में वह स्थिति जिसमें कोई शब्द इस प्रकार प्रयुक्त होता है कि उसके दो या अधिक अर्थ निकलें और फलतः वह लोगों के परिहास का विषय बनें।
- ✈︎साहित्य में एक प्रकार का अलंकार जो कुछ अवस्थाओं में अर्थालंकार और कुछ अवस्थाओं में शब्दालंकार होता है
- ✈︎विशेषइसमें ऐसे शब्दों का प्रयोग होता है जिनके कई कई अर्थ होते हैं और प्रसंगों के अनुसार उनके अलग अलग अर्थ होते हैं।
☯︎श्लेष क्या है-
जहाँ पर कोई शब्द एक ही शब्द आये पर उसके अर्थ अलग-अलग निकले वहाँ पर श्लेष अलंकार होता है।अर्थात श्लेष का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ,जब एक शब्द से हमें विभिन्न अर्थ मिलते हों तो उस समय श्लेष अलंकार होता है।अर्थात जब किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उसके अर्थ कई निकलते हैं तो वह श्लेष अलंकार कहलाता है।
☘︎उदाहरण-
जे रहीम गति दीप की,कुल कपुत गति सोय
जे रहीम गति दीप की,कुल कपुत गति सोयबारे उजियारो करै,बढ़े अंधेरो होय।
☘︎अर्थ
रहीम जी ने दोहे के द्वारा दिये एवं कुपुत्र के चारित्र को एक जैसा दर्शाने की कोशिश की है।रहीम जी कहते हैं की शुरु में दोनों ही उजाला करते हैं लेकिन बढ़ने पर अन्धेरा हो जाता है।इस उदाहरण में बढ़े शब्द से दो विभिन्न अर्थ निकल रहे हैं।दिपक के संदर्भ में बढ़ने का मतलब है बुझ जाना जिससे अन्धेरा हो जाता है।कुपुत्र के संदर्भ में बढ़ने से मतलब है बड़ा हो जाना।