गी्ष्म ऋतु का तापमान दिन प्रतिदिन असहनीय होता जा रहा हैं। साथ ही लोगों के स्वभाव की तपिश भी दिनों-दिन वृद्धि पर हैं। आप लोगों को
स्वभाव को शीतल बनाने हेतु क्या सुझाव दे सकते हैं। (80-100) शब्दो में लिखिए।
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लोगों को अपने स्वभाव को शीतल बनाने के लिये कुछ सुझाव
ग्रीष्म ऋतु का प्रकोप जारी है। तापमान दिव-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। इधर एक दूसरा तथ्य ये हैं कि लोगों स्वभाव में गरमी बढती जा रही है। लोग जरा-जरा सी बात पर उत्तेजित हो जा रहे हैं और एक दूसरे से लड़ने-मारने पर उतारू हो जाते हैं। लोगों के स्वभाव की ये गरमी ग्रीष्ण ऋतु के कारण हो ऐसा नही है बल्कि स्वभाव की गरमी मौसम से परे और ये किसी भी मौसम में आ सकती है। हाँ गरमी के मौसम में थोड़ी बढ़ोत्तरी हो जाये ये माना जा सकता है।
आप भी अपने स्वभाव मेंआने वाली गरमी से परेशान हैं और शांत रहना चाहते हैं अपने मन को शीतल बनाना चाहते हैं तो आपके लिये कुछ सुझाव हैं।
- स्वभाव में गरमी का सबसे बड़ा कारम अहं अर्थात ईगो होता है। अपने अहं का त्याग करें ये आपके स्वभाव में नरमी लाने में मदद करेगा।
- लोगों से कम अपेक्षायें रखें और अपना कार्य स्वयं करने का प्रयत्न करें।
- ‘पहले मैं’ का भाव त्यागें और अन्य लोगों को भी महत्व दें।
- सुबह या जब भी समय मिले तो ध्यान लगाने का अभ्यास करें। ध्यान लगाने से आत्म साक्षात्कार होता है और मन शांत होता है।
- आप व्यायाम और योग आदि का सहारा भी ले सकते हैं।
- स्वयं को अधिक से अधिक व्यस्त रखें। दिमाग खाली न रहने से आपका ध्यान इधर-उधर की बातों पर नही जायेगा और मन आत्मकेंद्रित होगा।
- अपनी अभिरुचि के अनुसार कोई शौक पाल लें। जैसे किताबें पढ़ना, संगीत सुनना, बागबानी करना, नृत्य करना, कहानी-कविता-लेख आदि लिखना, फोटोग्राफी करना, पेंटिंग करना आदि या कोई अन्य कार्य जो करना आपको अच्छा लगता हो। अपना मनपसंद कार्य निरंतर करते रहने से आत्मसंतुष्टि मिलती है। संतुष्टि मिलने से उग्र मन शांत होता है।
ये कुछ सुझाव हैं जिनकी सहायता से स्वाभाव की गरमी शांत होकर मन शीतल बन सकता है।
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