गीता के पहले 6 अध्याय किस विषय पर केंद्रित है
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गीता के पहले 6 अध्याय किस विषय पर केंद्रित है=अर्जुन
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O गीता के पहले 6 अध्याय किस विषय पर केंद्रित है?
► श्रीमद्भागवत गीता के पहले 6 अध्याय योग की गूढ़ बातों पर केंद्रित हैं।
- श्रीमद्भगवत गीता का पहला अध्याय ‘अर्जुनविषादयोग’ नाम से है। इसमें अर्जुन अपने सगे संबंधियों को युद्ध के मैदान में देख कर मोह से ग्रस्त हो जाते हैं और अपने बंधुओं से युद्ध ना लड़ने की बात कहते हैं।
- दूसरा अध्याय ‘सांख्य योग’ नाम से है। जिसमें श्री कृष्ण अर्जुन को युद्ध न लड़ने की बात कहने पर समझाते हैं कि युद्ध लड़ना तुम्हारा कर्तव्य है। यह युद्ध तुम्हें मजबूरी में लड़ना पड़ा है। तुम नहीं लड़ोगे तो मार दिए जाओगे। अपनी रक्षा के लिए तुम्हें युद्ध लड़ना ही पड़ेगा।
- तीसरा अध्याय ‘कर्म योग’ नाम से है, जिसमें श्री कृष्ण ज्ञान योग और कर्म योग के अनुसार अनासक्त भाव से नियत कर्म करते रहना का ज्ञान देते हैं।
- चौथा अध्याय ‘ज्ञान-कर्म-संन्यास योग’ नाम से है जिसमें श्री कृष्ण ज्ञान कर्म और संन्यास योग के विषय में अर्जुन को परिचित कराते हैं।
- पांचवा अध्याय ‘कर्म संन्यास’ योग नाम से है, जिसमें श्री कृष्ण सांख्य योग और कर्मयोग का निर्णय तथा कर्म योगी के लक्षण और उनकी महिमा तथा ज्ञान योग और ध्यान योग के विषय में अर्जुन को बताते हैं।
- छठा अध्याय ‘आत्म संयम योग’ नाम से है, जिसमें श्री कृष्ण कर्मयोग का विषय और योगरूढ़ पुरुष के लक्षण आदि के विषय में विस्तार से बताते हैं।
इस तरह श्रीमद भगवत गीता के प्रथम 6 अध्याय योग पर केंद्रित रहे हैं जिनमें श्री कृष्ण अर्जुन को योग की गूढ़ बातों से परिचित कराते हैं।
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