गीत लिखिए ' निर्माणों के पवन ' ।
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निर्माणों के पवन युग में हम चरित्र निर्माण न भूलें
स्वार्थ साधना की आंधी में वसुधा का कल्याण न भूलें
माना अगम अगाध सिंधु है संघर्षों का पार नहीं है ।
किन्तु डूब ना माझधरो में साहस को स्वीकार नहीं है।
जटिल समस्या सुलझाने को नूतन अनुसंधान न भूलें
शील विनय आदर्श श्रेष्ठता तार बिना झंकार नहीं है ।
शिक्षा क्या स्वर साध सकेगी यदि नैतिक आधार नहीं है।
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