गीता से खाया नहीं जाता। इस वाक्य का वाच्य के आधार पर भेद बताएं
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कर्तवाच्य- जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है।
कर्तृवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य।
कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है; जैसे –
मैं फ्रेंच पढ़-लिख सकता हूँ।यह कलाकार फ़िल्मी गीतों के अलावा लोकगीत भी गा सकता है।ऐसा सुंदर स्वेटर सुमन ही बन सकती है।यही मज़दूर इस भारी पत्थर को हटा सकता है।
कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है। कर्तृवाच्य में कर्ता की असमर्थता दर्शाने के लिए क्रिया एवं नहीं के साथ सक के विभिन्न रूपों का भी प्रयोग किया जा सकता है; जैसे –
मैं चीनी भाषा नहीं लिख सकता हूँ।यह मोटा आदमी तेज़ नहीं दौड़ सकता है।बच्चे आज खेलने बाहर नहीं जा सकते हैं।मोहन यह सवाल हल नहीं कर सकता है।