Hindi, asked by mukeshmoury6983, 1 month ago

गौतम बुद्ध के अनुसार मनुष्य के कर्तव्य​

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Answered by rohitkumargupta
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HELLO DEAR,

GIVEN:- गौतम बुद्ध के अनुसार मनुष्य के कर्तव्य

ANSWER:-

कर्म हिंदू धर्म की अवधारणा है जो एक प्रणाली के माध्यम से कार्य कारण के सिद्धांत की व्याख्या करती है जहां पिछले हितकर कार्यों का हितकर प्रभाव और हानि का कार्य कारिणी पर प्रभाव प्राप्त होता है जो पुनर्जन्म का एक चक्कर बनाती हुई आत्मा के जीवन में खुला और चरण या पुनर्जन्म की प्रक्रिया और प्रतिक्रियाओं की एक प्रणाली है।

भगवान गौतम बुद्ध के अनुसार प्रत्येक मनुष्य अपने कर्मों का ही भोगी होता है। मनुष्य जैसा करता है वैसा उसे मिलता है। प्रत्येक मनुष्य का जीवन उसके कर्मों पर निर्भर करता है। मनुष्य अपना भविष्य समय निर्धारित कर सकता है। मनुष्य का भविष्य उसके कर्मों पर निर्भर है वह जैसा चाहे वैसा बन सकता है। गौतम बुद्ध ने कहा है कि प्राण स्वयं अपने कर्मों के स्वामी हैं। वे अपने कर्मों की ही विरासत पाते हैं। अपने कर्मों से ही उत्पन्न होते हैं और अपने कर्मों के बंधन से बनते हैं।

THANKS.

Answered by qwstoke
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गौतम बुद्ध के अनुसार मनुष्य के कर्तव्य निम्न प्रकार से स्पष्ट किए गए हैं।

  • गौतम बुद्ध के अनुसार प्राणी अपने कर्मों का स्वयं स्वामी है। हमारे कर्म हमारे द्वारा ही उत्पन्न हुए होते हैं।
  • यदि कोई शुभ कर्म करता है तो परिणाम भी शुभ होते है। अतः मनुष्य को कर्म करने से पहले सोचना चाहिए।

  • कायिक कर्म वे होते है जो दिखते है उदाहरण - शारीरिक यातना पहुंचाना। मनुष्य को किसी को शारीरिक यातना नहीं पहुचानी चाहिए।

  • वाचिक कर्म - वाचिक कर्मो के अन्तर्गत किसी को गाली देना, किसी की बुराई करना आदि सम्मिलित हैं, अतः किसी की बुराई नहीं करनी चाहिए।

  • मानसिक कर्म - किसी के प्रति मन में बुरी भावना रखना। हम सभी को सबके लिए अपने हृदय में दया की भावना रखनी चाहिए।
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