गौतम बुद्ध के अनुसार मनुष्य के कर्तव्य क्या है
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भगवान गौतम बुद्ध ने कहा कि प्राणी स्वयं अपने कर्मों के स्वामी हैं। ... अपने कर्मों से ही उत्पन्न होते हैं और अपने कर्मों के बंधन में बँधते हैं। उनके कर्म ही उनके शरणदाता हैं। कर्म जैसे शुभ-अशुभ होंगे, परिणाम भी वैसे ही शुभ-अशुभ होंगे।
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हम मनुष्य हैं और हम अपनी बुद्धि से सोच व विचार कर निर्णय करते हैं। हमारा प्रथम कर्तव्य क्या है ? विचार करने पर हमें ज्ञात होता है कि हमें किसी अदृश्य सत्ता ने बनाया है। माता-पिता अवश्य हमारे जन्म में सहायक हैं परन्तु वह हमारे शरीर की रचना व रोग होने पर उसे ठीक करने के विज्ञान से परिचित नहीं होते। कोई भी माता-पिता यह दावा नहीं करता कि वह अपनी सन्तानों के आत्मा वा शरीर का निर्माता व रचयिता है। अतः हमारे शरीर की रचना, क्योंकि यह नाशवान है अर्थात् मृत्यु को प्राप्त होने वाला होता है, किसी अदृश्य सत्ता से हुई निश्चित होती है। वह सत्ता कैसी है व उसमें क्या गुण हैं, तो हमें अपने शरीर व सृष्टि को देखकर यह निश्चित होता है कि वह सत्ता ज्ञानवान सत्ता है या नही।