गौतम कौन थे? उन्होंने संसार का भला किस प्रकार किया?
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वे ढाई हजार वर्ष पूर हुए पर उनके बताये हुए मार्ग उस समय भी सटीक थे, आज भी हैं और जब तक मनुष्य है तब तक रहेंगे। उन्होंने मनुष्य के स्वभाव और चेतना की बात की है- श्रद्धा पर नहीं पर विज्ञान पर आधारित कर।
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इनका जन्म लुंबिनी में 563 ईसा पूर्व इक्ष्वाकु वंशीय क्षत्रिय शाक्य कुल के राजा शुद्धोधन के घर में हुआ था। उनकी माँ का नाम महामाया था जो कोलीय वंश से थीं, जिनका इनके जन्म के सात दिन बाद निधन हुआ, उनका पालन महारानी की छोटी सगी बहन महाप्रजापती गौतमी ने किया। 29 वर्ष की आयुु में सिद्धार्थ विवाहोपरांत एक मात्र प्रथम नवजात शिशु राहुल और धर्मपत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण, दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग एवं सत्य दिव्य ज्ञान की खोज में रात्रि में राजपाठ का मोह त्यागकर वन की ओर चले गए। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ गौतम से भगवान बुद्ध बन गए।
भगवन बुद्ध ने संसार को जीवन के चार आर्य सत्य दिए हैं। भगवान् की यह देशना सर्वकालिक है। वे ढाई हजार वर्ष पूर हुए पर उनके बताये हुए मार्ग उस समय भी सटीक थे, आज भी हैं और जब तक मनुष्य है तब तक रहेंगे। उन्होंने मनुष्य के स्वभाव और चेतना की बात की है- श्रद्धा पर नहीं पर विज्ञान पर आधारित कर।
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