गंदी बस्ती को परिभाषित कीजिए तथा उनकी स्थिति में सुधार के लिए उपाय बतलाइए
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नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) के मुताबिक भारत की आबादी का 1/8 वां हिस्सा झुग्गी बस्तियों में रहता है। इससे हमें पता चलता है कि देश के लोगों को ठीकठाक मकान और बुनियादी सुविधाएं देने का काम कितना कठिन है। देश ने अनेक क्षेत्रों में जो तरक्की की है, उससे इस सोच की तस्वीर उल्टी है। यहां आजादी के बाद गंदी बस्तियों में रहने वाले लोगों की तादाद बढ़ती ही जा रही है। इसकी वजह यह है कि शहरीकरण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है और हमारे शहरों में इन अप्रवासियों को बसाने के लिए कोई योजना नहीं है। एनएसएसओ के सर्वेक्षण से जो तस्वीर सामने आई है, वह 2011 की जनगणना के मुकाबले काफी बेहतर है, लेकिन इसकी वजह यह है कि दोनों की कार्यपद्धति अलग-अलग है और दोनों ने ‘स्लम’ की परिभाषा अलग-अलग मानी है। इसलिए जनगणना में जहां एक लाख के आसपास झुग्गी बस्तियों का जिक्र है, आंकड़ों के मुताबिक यह संख्या इसके एक तिहाई से भी कम है। यानी स्थिति गंभीर है और शहरीकरण की प्रक्रिया में खामियों को बताती है।